कहते हैं कि दिन की शुरुआत योग से हो तो दिनचर्या के दौरान शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। परन्तु अगर जीवन जीने की शुरुआत ही योग से हो जाए तो निश्चित ही मजबूत शरीर के साथ-साथ शक्तिशाली और एकाग्र मस्तिष्क का निर्माण होगा।
स्वस्थ शरीर और शक्तिशाली मस्तिष्क में ही नवाचार विचार आ सकते हैं और यही क्रिएटिव विचार ही वैभव सम्पन्न राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
भारत को वैभव सम्पन्न राष्ट्र फिर से बनाने की दिशा में प्राण प्रण से जुटी हैं उत्तर प्रदेश के बिजनौर की शैली शर्मा। देश के भविष्य नौनिहाल छात्रों को शैली न मात्र शिक्षा दे रही हैं, अपितु योग से जोड़कर उन्हें निरोगी भी बना रही हैं।
वर्ष 2009 में यूपी बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका के पद पर शैली शर्मा की नियुक्ति हुई, तो पहले से योग को अपना चुकी शैली ने स्कूल के बच्चों को भी इसका अभ्यास कराना आरम्भ कर दिया। शैली का मानना है कि स्कूल जीवन से अगर बच्चों को योग से जोड़ दिया जाए तो वे जीवन भर इसका पालन करेंगे और अपने स्वजनों को भी इससे जोड़ेंगे, जिससे स्वस्थ्य समाज का निर्माण होगा।
शैली शर्मा बच्चों के साथ-साथ आस-पास की महिलाओं और बुजुर्गों को भी योग से जोड़ रही हैं। एक सामाजिक संस्था शैली को मिसेज योगा उत्तर प्रदेश के पुरस्कार से सम्मानित किया है। शैली शर्मा योग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं।
बिजनौर के रतनपुर रिबाया प्राथमिक स्कूल में शैली शिक्षा के साथ-साथ प्रतिदिन योग अभ्यास भी कराती हैं। शैली का कहना है कि बच्चे स्वयं को स्वस्थ्य रखने के लिए तैयार हो जाएंगे तो वे जीवनभर इसका पालन करेंगे। यही सोचकर मैं योग कराती हूँ। कॉलोनी की महिलाएं भी साथ में अक्सर योग करती हैं। ग्रामीण भी अब योग से जुड़ रहे हैं।
बदलते परिवेश में हमारी जीवनशैली भी काफी अस्त-व्यस्त हो गई है, ऐसे में तरह-तरह की बीमारियां हमारे शरीर में घर बना रही हैं। ऐसे में शैली शर्मा के इस प्रयोग की काफी सराहना हो रही है।