शताब्दी वर्ष: संकल्प पथ पर उन्नत होते जा रहे स्वयंसेवक
संघ यात्रा -10 (2015 - 2025)
1925 में उपेक्षा, विरोध और साधनों के अभाव में उदित हुआ संघ, न केवल आज देश के कोने-कोने में पहुंच चुका है, बल्कि विविध क्षेत्रों और आयामों में अपना कार्य विस्तार कर रहा है। यह अनायास होने वाला कार्य नहीं है बल्कि यह उस निष्ठा और कार्यपद्धति का परिणाम है जो कर्तृत्व, अपनत्व और शील के आधार पर समाज का विश्वास जीतने में सफल रही।
संघ यात्रा की अपनी इस शृंखला में हम आ पहुंचे हैं अपने दसवें पड़ाव पर। यह संघ यात्रा का दसवां दशक है जो संघ के शताब्दी वर्ष पर जाकर सम्पन्न हो रहा है। एक शताब्दी की यात्रा में संघ के निरंतर उत्थान और विस्तार को समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में देखा जाने लगा है। संघ के लाखों स्वयंसेवक पूर्ण निष्ठा से उस संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहे हैं जिसे परम पूजनीय डॉ. हेडगेवार ने सौंपा था। आइये चलते हैं इस दशक की यात्रा पर-
1 मार्च, 2015 को हरियाणा प्रांत के रोहतक में तरुणोदय शिविर का आयोजन किया गया। जून 2015 में कर्नाटक दक्षिण प्रांत का ‘ग्राम संगम’ बंगलुरु के निकट आयोजित किया गया। संघ समय के साथ चलता है इस दृष्टि से संघ के गणवेश में समयानुकूल परिवर्तन हुआ। मार्च 2016 में नागपुर में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में औपचारिक स्तर पर संघ के गणवेश परिवर्तन का निर्णय लिया गया। विजयादशमी (11 अक्टूबर 2016) को संघ के गणवेश में खाकी हाफ पैंट की जगह ब्राउन कलर की फुल पैंट ने ले ली। जनवरी 2016 में बेंगलुरु में पहला श्रृंग शिविर ”स्वरांजलि“ आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में देश के हर क्षेत्र से कुल 2195 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।
मार्च 2016 की प्रतिनिधि सभा में ही दैनन्दिन जीवन में समरसतापूर्ण व्यवहार करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। 2017 की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पश्चिम बंगाल में जिहादी तत्वों के निरन्तर बढ़ रहे हिंसाचार, राज्य सरकार द्वारा मुस्लिम वोट-बैंक की राजनीति के चलते राष्ट्र-विरोधी तत्वों को दिये जा रहे बढ़ावे तथा राज्य में घटती हिन्दू जनसंख्या के प्रति, गहरी चिन्ता व्यक्त की गयी। जनवरी, 2018 में कोंकण प्रान्त में हिन्दू चेतना संगम आयोजित हुआ। एक ही दिन प्रांत के सभी खंडों तथा नगरों में तरुण स्वयंसेवकों का गणवेष में एकत्रीकरण हुआ। कुल 255 स्थानों पर एकत्रीकरण में 34,448 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अन्य 48,814 पुरुष एवं 24,268 महिलाओं की भी उपस्थिति रही। इसी वर्ष बहियारा (आरा, बिहार) में जगद्गुरु रामानुजाचार्य सहस्राब्दी समापन हुआ और इसी वर्ष भगिनी निवेदिता की 150 जयंती निमित्त देश भर में कार्यक्रम आयोजित किये गये। मार्च 2018 की प्रतिनिधि सभा में भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन की आवश्यकता पर मंथन हुआ।
मार्च 2019 की प्रतिनिधि सभा की बैठक में शबरीमला देवस्थान को लेकर वामपंथियों द्वारा खड़े किये गये विवाद के विषय में मंथन हुआ। वर्तमान परिस्थितियों में परिवार व्यवस्था के समक्ष चुनौतियों पर भी चर्चा की गयी। सभी लोग देश में होने वाली मतदान प्रक्रिया में भाग लें और चुनाव में 100 प्रतिशत मतदान हो, इस के लिए स्वयंसेवकों ने समाज में जनजागरण किया। उत्तर प्रदेश सरकार और विभिन्न पीठों के सहयोग से प्रयागराज कुंभ में (वैचारिक कुंभ के माध्यम से) कई नए प्रयोग किए गए। इनमें युवा कुंभ, मातृशक्ति कुंभ, समरसता कुंभ, पर्यावरण कुंभ एवं सर्वसमावेशी कुंभ वैचारिक आदान-प्रदान की दृष्टि से बहुत प्रभावी रहे। इस वर्ष सक्षम के माध्यम से शारीरिक, मानसिक रूप से अक्षम लोगों के लिए विभिन्न आयोजन किए गए। जिनमें नेत्र कुंभ के दौरान 800 से ज्यादा विशेषज्ञों ने 2 लाख से अधिक लोगों का परीक्षण कर रिकार्ड बनाया। साथ ही डेढ लाख लोगों को निःशुल्क चश्में उपलब्ध कराए गए। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने भारतीय परिवार व्यवस्था को सुदृढ़ करने का आह्वान करते हुए प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया है कि भारतीय परिवार व्यवस्था हमारे समाज का मानवता के लिए अनमोल योगदान है। हम अपने दैनन्दिन व्यवहार व आचरण से यह सुनिश्चित करें कि हमारा परिवार जीवनमूल्यों को पुष्ट करने वाला, संस्कारित व परस्पर संबंधों को सुदृढ़ करने वाला हो। सपरिवार सामूहिक भोजन, भजन, उत्सवों का आयोजन व तीर्थाटन, मातृभाषा का उपयोग, स्वदेशी का आग्रह, पारिवारिक व सामाजिक परम्पराओं के संवर्धन व संरक्षण से परिवार सुखी व आनंदित होंगे। परिवार व समाज परस्पर पूरक हैं। प्रस्ताव में मातृशक्ति के सम्बन्ध में कहा गया कि, ”हमारी परिवार व्यवस्था की धुरी माँ होती है। मातृशक्ति का सम्मान करने का स्वभाव परिवार के प्रत्येक सदस्य में आना चाहिए। सामूहिक निर्णय हमारे परिवार की परंपरा बननी चाहिए। परिवार के सदस्यों में अधिकारों की जगह कर्तव्यों पर चर्चा होनी चाहिए। प्रत्येक के कर्तव्य-पालन में ही दूसरे के अधिकार निहित हैं। कालक्रम से अपने समाज में कुछ विकृतियां व जड़ताएं समाविष्ट हो गई हैं। दहेज, छुआछूत व ऊँच-नीच, बढ़ते दिखावे एवं अनावश्यक व्यय, अंधविश्वास आदि दोष हमारे समाज के सर्वांगीण विकास की गति में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं। प्रतिनिधि सभा ने सम्पूर्ण समाज से आग्रह किया कि अपने परिवार से प्रांरभ कर, इन कुरीतियों व दोषों को जड़मूल से समाप्त कर एक संस्कारित एवं समरस समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करें। इस वर्ष आजाद हिन्द सरकार के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर में विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। इसी वर्ष जलियांवाला बाग के प्रेरणादायी बलिदान के शताब्दी वर्ष पर बलिदान की गाथा स्वयंसेवकों ने देश के प्रत्येक कोने तक पहुंचाई। इसी वर्ष श्री गुरु नानकदेव जी का 550वां प्रकाश पर्व पूरे देश में मनाया गया, संघ के स्वयंसेवकों ने भी अनेक स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन कर गुरु नानक देव जी के सन्देश को जन-जन तक पहुंचाया। इस वर्ष पूरा विश्व एक आपदा की चपेट में आया जिसका नाम था कोविड-19, इस महामारी ने पूरे विश्व को संकट में डाल दिया था। इस भीषण संकट काल में संघ के स्वयंसेवकों ने जिस सेवा-भाव, अनुशासन और समर्पण का परिचय दिया, उसने न केवल देशवासियों का, बल्कि वैश्विक समुदाय का भी ध्यान आकर्षित किया। कोविड के दौरान शिक्षा क्षेत्र में विद्यालय बंद रहने के कारण छात्रों का विकास प्रभावित हुआ, रोजगार की समस्या भी पैदा हुई। ऐसे समय में संघ के स्वयंसेवकों ने योजनाबद्ध रूप से स्थानीय स्तर पर कार्य किया। कोरोना के कारण बदली परिस्थितियों में लाखों स्वयंसेवक स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा और स्वावलंबन से जुडी गतिविधियों में बड़े स्तर पर जुटे।
वर्ष 2022 में स्वाधीनता के अमृत महोत्सव की वेला पर स्वयंसेवकों ने अपने महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए उनके सपनों के भारत का निर्माण करने के अपने संकल्प को गति दी। मार्च 2022 को कर्णावती में सम्पन्न हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मानव केंद्रित, पर्यावरण के अनुकूल, श्रम प्रधान तथा विकेंद्रीकरण एवं लाभांश का न्यायसंगत वितरण करने वाले भारतीय आर्थिक प्रतिमान पर मंथन हुआ। स्वदेशी, ग्रामीण अर्थव्यवथा, सूक्ष्म उद्योग, लघु उद्योग और कृषि आधारित उद्योगों को संवर्धित किये जाने जैसी गतिविधियों में स्वयंसेवकों की भूमिका पर चिंतन हुआ। तीव्रता से बदलती आर्थिक तथा तकनीकी परिदृश्य की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए नवोन्मेषी पद्धतियाँ खोजने, उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं निर्यात की संभावनाओं से उत्पन्न रोजगार और उद्यमिता के अवसरों का गहन अन्वेषण करने, रोजगार के पूर्व और दौरान मानव शक्ति के प्रशिक्षण, अनुसन्धान तथा तकनीकी नवाचार, स्टार्ट अप और हरित तकनीकी उपक्रमों आदि के प्रोत्साहन में सहभागिता जैसे महत्वपूर्ण विषयों को केंद्र में रखकर भारत की भूमिका को लेकर मंथन हुआ।
मार्च 2023 में शताब्दी वर्ष 2025 तक नए लोगों को संघ से जोड़ने पर मंथन हुआ। शाखा संघ की रीढ़ और सामाजिक परिवर्तन का केंद्र है। शाखा के स्वयंसेवक सामाजिक परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर विषयों का चयन करते हैं और समाज परिवर्तन के लिए कार्य करते हैं। समाज को स्वावलंबी बनाने, सेवा कार्यों के विस्तार, समाज में सामाजिक समरसता का वातावरण बनाने, पर्यावरण संरक्षण, अमृतकाल के तहत देशभर में क्या कार्य किए जाएं, ये सभी विषय शाखा के माध्यम से स्वयंसेवकों द्वारा समाज में चलाए जाते हैं। प्रत्येक गाँव प्रत्येक मंडल तक शाखा का विस्तार हो इस पर भी विमर्श हुआ। इसी वर्ष भगवान महावीर स्वामी के 2550 वें निर्वाण वर्ष पर विशेष वक्तव्य जारी किये गये।
2024 में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के अवसर पर पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने पर सम्पूर्ण देश में कार्यक्रम आयोजित किये गये। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पूरे देश में उत्साह और आनंद का वातावरण बना। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में स्वागत के लिए राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से देश भर में अक्षत निमंत्रण कार्यक्रम चलाया गया। इस अवसर पर पूरे देश में अयोध्या धाम में पूजित अक्षत वितरण और श्री राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के अवसर पर उत्सव निमन्त्रण हेतु लाखों स्वयंसेवक घर-घर गये।
मार्च 2024 नागपुर की प्रतिनिधि बैठक में संघ स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों और योजना पर विचार मंथन किया गया। शताब्दी वर्ष के निमित्त कार्य - विस्तार की दृष्टि से 1 लाख शाखा का लक्ष्य रखा गया। समाज हित में पंच परिवर्तन- सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण, ‘स्व’ एवं नागरिक कर्तव्य का समावेश कर संघ ने शताब्दी वर्ष में पंच परिवर्तन के माध्यम से जन-जन की सहभागिता द्वारा समाज जागरण का संकल्प लिया। इसी वर्ष पुण्य श्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जन्म की त्रि-शताब्दी पूरे देश में मनाई गयी, विभिन्न शैक्षिक एवं सामजिक संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को नई पीढ़ी तक पहुंचाया गया। तीर्थराज प्रयाग में आयोजित महाकुम्भ ने पूरे देश के सांस्कृतिक गौरव और आत्मविश्वास को बढ़ाया। महाकुम्भ ने भारत की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत दर्शन कराए और साथ ही समाज की आंतरिक श्रेष्ठता का बोध कराया। महाकुम्भ की विविध गतिविधियों में संघ के स्वयंसेवक जुटे रहे। सक्षम द्वारा आयोजित नेत्र कुम्भ में महाकुम्भ में आने वाले लोगों के लिए निःशुल्क नेत्र परीक्षण, चश्मे का वितरण तथा आवश्यकता पड़ने पर मोतियाबिंद की सर्जरी की व्यवस्था की गई। निःशुल्क नेत्र परीक्षण से 2,37,964 लोगों ने लाभ उठाया, जबकि 1,63,652 लोगों को निःशुल्क चश्में तथा 17,069 लोगों ने निःशुल्क मोतियाबिंद की सर्जरी करवाई। 53 दिनों तक चले सेवा कार्य में 300 से अधिक नेत्र विशेषज्ञों तथा 2800 कार्यकर्ताओं ने काम किया। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि में स्वयंसेवकों ने कुम्भ को थर्माेकोल प्लेट या पॉलीथिन बैग मुक्त बनाने के लिए अनेक संगठनों के सहयोग से ”एक थाली-एक थैला अभियान“ चलाया। अभियान के तहत देशभर में स्टील की प्लेट तथा कपड़े के थैलों का बड़ी संख्या में संग्रह किया गया। कार्यकर्ताओं ने 2241 संस्थाओं के सहयोग से 7258 केंद्रों पर कुल 14,17,064 प्लेटें और 13,46,128 थैले एकत्रित किए, जिन्हें कुम्भ के विभिन्न पंडालों में वितरित किया गया। यह अभियान अपने आप में एक अनूठा प्रयोग था और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने तथा स्वच्छ कुम्भ के विचार को जन-जन तक पहुंचाने में सफल रहा।
2024-27 के कार्यकाल हेतु संघ की नई कार्यकारिणी में छह सह सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी, श्री मुकुंद जी, श्री अरुण कुमार जी, श्री रामदत्त चक्रधर जी, श्री अतुल लिमये जी, श्री आलोक कुमार जी नियुक्त हुए। संघ स्थापना का यह 100 वां वर्ष है। वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार 51,570 स्थानों पर प्रतिदिन कुल 83,129 शाखाएं संचालित की जाती हैं। कुल मिलन (साप्ताहिक) 32,147, कुल मंडली (मासिक) 12,091 हैं। संघ अपने शताब्दी वर्ष के दौरान कार्य के विस्तार की दिशा में काम कर रहा है, उसमें ग्रामीण मंडलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। संघ ने संगठनात्मक योजना के तहत देश को 58,981 ग्रामीण मंडलों में विभाजित किया है, जिनमें से 30,717 मंडलों में दैनिक शाखाएं और 9,200 मंडलों में साप्ताहिक मिलन चल रहे हैं। शताब्दी वर्ष हेतु पूज्य सरसंघचालक जी के आह्वान पर संघ कार्य के विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए 2,453 स्वयंसेवकों ने दो वर्ष हेतु स्वयं को समर्पित किया। इस वर्ष देश भर में कुल 4,415 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए। इन वर्गों में 2,22,962 स्वयंसेवक शामिल हुए, जिनमें से 1,63,000 स्वयंसेवक 14-25 आयु वर्ग और 20,000 से अधिक स्वयंसेवक 40 वर्ष से अधिक आयु के थे। संघ की वेबसाइट (ूूूण्तेेण्वतह) पर ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से साल 2012 से अब तक 12,72,453 से अधिक लोगों ने संघ से जुड़ने में रुचि दिखाई है, जिनमें से 46,000 से अधिक महिलाएं हैं। ऐसी हजारों महिला कार्यकर्ता विभिन्न क्षेत्रों में संघ की विभिन्न गतिविधियों में कार्य कर रही हैं। वर्तमान में देशभर में कुल 89,706 सेवा गतिविधियां चल रही हैं, जिनमें से 40,920 शिक्षा के क्षेत्र में, 17461 चिकित्सा सेवा से संबंधित, 10,779 स्वावलंबन के क्षेत्र में तथा 20,546 सामाजिक जागरण से संबंधित गतिविधियां हैं। सामाजिक समरसता के अंतर्गत 1084 स्थानों पर हमारे स्वयंसेवकों ने मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध तथा एक ही स्रोत से पीने का पानी लेने पर रोक जैसी गलत सामाजिक प्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास किया।