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ऑनलाइन सट्टेबाजी पर कड़ा प्रहार: अब होगा सिर्फ सोशल गेमिंग का दौर

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अगर आप भी ऑनलाइन सट्टे में किस्मत आजमा रहे हैं, तो हो जाइए सावधान। सरकार ने संसद से ‘प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025’ पास करा लिया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह अब कानून बन चुका है। यानी आने वाले दिनों में ऑनलाइन पैसे लगाकर खेले जाने वाले गेम्स चाहे वो पोकर हो, रमी हो, बेटिंग हो या फैंटेसी स्पोर्ट्स अब पूरी तरह बैन हो जाएंगे। सरकार ने साफ कहा है कि अब ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग (जहां सिर्फ मनोरंजन और स्किल्स हों, पैसे का दांव न हो) को बढ़ावा दिया जाएगा।

क्या है ये नया बिल?

1. नए कानून में सरकार ने ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग को प्रतिबंधित कर दिया है।

2. ऐसे गेम्स को प्रमोट करने वालों पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और जेल की सजा होगी।

3. बेटिंग, जुआ, लॉटरी और कैश रिवॉर्ड वाले कार्ड गेम्स को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया है।4.  इसके अलावा इस सेक्टर को रेगुलेट करने के लिए कड़े नियम लागू होंगे, ताकि धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियां रोकी जा सकें।

कितने लोग हुए प्रभावित?

1. रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में 45 करोड़ से अधिक लोग रियल मनी गेम्स की गिरफ्त में थे।

2. इन गेम्स की वजह से लोगों ने अब तक लगभग 20,000 करोड़ रुपये गंवाए हैं।

3. वर्ष 2023–24 के बीच सरकार ने 28% जीएसटी और 30% टैक्स लगाया इसके बावजूद लोग ऑनलाइन सट्टेबाजी की लालच में आते रहे।

राष्ट्र को कैसे हो रहा था नुकसान?

1. रियल मनी गेमिंग ने युवाओं को कर्ज और लत में धकेल दिया।

2. जुए की आड़ में मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध नेटवर्क्स पनपने लगे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ।

3. कामकाजी वर्ग अपनी पूरी जमा-पूंजी गंवाने लगा, जिससे अर्थव्यवस्था पर भी बोझ बढ़ा।

4. विदेशी ऐप्स और कंपनियां भारत से पैसा बटोरकर बाहर ले जा रही थीं, यानी देश की संपत्ति बाहर जा रही थी।

व्यक्तिगत जीवन पर असर: आत्महत्याएं और बर्बादी

1. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इसे Gaming Disorder मानते हुए बीमारियों की सूची में शामिल किया है।

2. कई युवाओं ने कर्ज में डूबने से तनाव में आकर आत्महत्या कर ली।

3. कई परिवार बर्बाद हुए, रिश्ते टूटे, घर तक बिक गए।

4. एक रिपोर्ट के अनुसार, गत दो वर्षों में सैकड़ों लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें अधिकांश 18–30 वर्ष की उम्र के थे।

सरकार का राष्ट्रहित में बड़ा कदम

सरकार का यह फैसला राष्ट्रहित में ऐतिहासिक कदम है। जिस तरह रियल मनी गेमिंग ने करोड़ों युवाओं को कर्ज, अवसाद और आत्महत्या की कगार पर पहुँचा दिया था, ऐसे में इसे प्रतिबंधित करना न केवल समाज की सुरक्षा है अपितु आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने का प्रयास भी है। अब ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा देकर युवाओं को सही दिशा मिलेगी और राष्ट्र की पूंजी भी सुरक्षित रहेगी। यह कदम दिखाता है कि सरकार केवल कानून नहीं बना रही, अपितु पूरे समाज को जुए की लत से मुक्त कर सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रही है। भले ही सरकार को टैक्स वसूली में नुकसान उठाना पड़े, लेकिन राष्ट्रहित को प्राथमिकता देना सबसे बड़ा धर्म है। रियल मनी गेमिंग से होने वाली आमदनी भले अरबों में रही हो, पर उसकी कीमत समाज ने आत्महत्या, बर्बादी और टूटते परिवारों के रूप में चुकाई है। ऐसे में सरकार का यह निर्णय दिखाता है कि वह राजस्व से ज्यादा नागरिकों की सुरक्षा और भविष्य की चिंता करती है। यही सच्चा नेतृत्व है, जो राष्ट्र को सही दिशा देता है।

सोशल गेमिंग: सुरक्षित विकल्प

सरकार ने कहा है कि सोशल गेमिंग यानी बिना पैसे लगाए खेले जाने वाले कैज़ुअल ऑनलाइन गेम्स जैसे कैंडी क्रश, फार्मविले सुरक्षित हैं। ये मनोरंजन और स्किल्स पर आधारित होते हैं, जहां न तो धोखाधड़ी का डर है और ना ही आर्थिक नुकसान का खतरा।

अब आपको क्या करना चाहिए?

1. किसी भी ऑनलाइन गेम में पैसे लगाने से बचें।

2. अगर आपने पहले कभी Real Money Games खेले हैं, तो तुरंत अकाउंट बंद कर दें।

3. बच्चों और युवाओं को इन गेम्स से दूर रखें और उन्हें ई-स्पोर्ट्स, लर्निंग गेम्स और सोशल गेमिंग की ओर प्रोत्साहित करें।

4. अगर आपको लगता है कि किसी को गेमिंग की लत लग गई है, तो तुरंत काउंसलिंग और हेल्पलाइन की मदद लें।

ऑनलाइन गेमिंग बिल सिर्फ एक कानून नहीं है अपितु युवाओं और समाज को आर्थिक बर्बादी और मानसिक तनाव से बचाने की पहल है। सरकार का यह कदम डिजिटल भारत को एक सुरक्षित दिशा में ले जाएगा, जहां गेमिंग मात्र मनोरंजन और स्किल्स का माध्यम होगा, न कि बर्बादी का। अब सवाल है क्या आप अभी भी रियल मनी गेमिंग में किस्मत अजमाने की सोच रहे हैं?

याद रखिए, ये सिर्फ गेम नहीं, आपके जीवन और परिवार का सवाल है।