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हाथरस की मेटल मूर्तियों से सजेगी कुंभ नगरी प्रयागराज, कलश की भी बढ़ी मांग

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- भगवान गणेश, भगवान शंकर और स्वस्तिक में ओम की आकृति वाली मूर्तियां की मांग 

- महाकुंभ 2025 के जरिए अपनी कला को देश-विदेश तक पहुंचाएगा।

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 की भव्यता में इस बार हाथरस की मेटल हैंडीक्राफ्ट मूर्तियां खास आकर्षण का केंद्र बनेंगी। हाथरस के कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित भगवान गणेश, भगवान शंकर और स्वस्तिक में ओम की आकृति वाली मूर्तियां प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले को सजाने के लिए पहुंच चुकी हैं।

मुख्य रास्तों पर मेटल मूर्तियों की छटा -

महाकुंभ मेले के मुख्य रास्तों के खंभों और मंडपों को इन मेटल मूर्तियों से सजाया जा रहा है। ये मूर्तियां मुख्य रूप से पथ प्रकाश खंभों और मंडपों की सजावट के लिए प्रयोग की जा रही हैं। मूर्तियों के अलावा हाथरस में बने कलश भी महाकुंभ के विभिन्न स्थलों की शोभा बढ़ाएंगे। मूर्तियों की आपूर्ति एक निजी कंपनी द्वारा हाथरस के व्यापारियों से की गई है।

हाथरस की कला का वैश्विक प्रदर्शन -

हाथरस का मेटल हैंडीक्राफ्ट उद्योग पहले से ही अपनी कला के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन महाकुंभ मेले में इस बार यह कला दुनिया भर के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगी।

भगवान गणेश, भगवान शंकर और स्वस्तिक आकृति की मूर्तियां विशेष रूप से डिजाइन की गई हैं।

सजावट के लिए बड़ी मूर्तियों और कलश की मांग बढ़ रही है।

व्यापारियों का बयान -

हाथरस के मूर्ति निर्माता गिरिराज वर्मा ने बताया,

“महाकुंभ मेले के लिए बड़ी संख्या में मेटल मूर्तियों की आपूर्ति की गई है। इन मूर्तियों को मंडपों के खंभों और सजावट के अन्य स्थानों पर लगाया जा रहा है। कलश की मांग भी बढ़ रही है, जिसकी आपूर्ति जल्द शुरू की जाएगी।”

हाथरस का उद्योग अपनी पहचान बना रहा -

हाथरस पहले ही हींग, रंग गुलाल, रेडीमेड वस्त्र और मोती मूंगा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। अब मेटल हैंडीक्राफ्ट का यह अनोखा योगदान महाकुंभ 2025 के जरिए अपनी कला को देश-विदेश तक पहुंचाएगा।

धार्मिक और सांस्कृतिक समागम -

महाकुंभ 2025 में हाथरस की मूर्तियों और कलश के माध्यम से न केवल धार्मिक माहौल सजीव होगा, बल्कि यह भारतीय कारीगरी और कला की समृद्धि को भी दर्शाएगा।