- हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने सामने है, कोर्ट में रखेंगे अपना पक्ष
बदायूं। बदायूं में जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर के विवाद ने गंभीर रूप ले लिया है। इस विवाद में दावा किया गया है कि जामा मस्जिद के स्थान पर पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था, और इसे लेकर सिविल कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि जामा मस्जिद, राजा महिपाल के किले और नीलकंठ महादेव के मंदिर का स्थल था।
यह मामला धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है और इसने विवाद को कानूनी लड़ाई तक पहुंचा दिया है। याचिका में ऐतिहासिक किताबों और सरकारी प्रकाशनों का हवाला दिया गया है, जो मस्जिद को पहले मंदिर के रूप में दर्शाते हैं। न्यायिक प्रक्रिया के तहत अब दोनों पक्षों को अपने-अपने तर्क पेश करने का अवसर दिया गया है, और मामले की अगली सुनवाई की तारीखें निर्धारित की जा चुकी हैं।
बदायूं में जामा मस्जिद और नीलकंठ महादेव मंदिर के स्थान को लेकर विवाद एक गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है। इस विवाद में यह दावा किया गया है कि जामा मस्जिद के स्थल पर पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था और यह राजा महिपाल के किले का हिस्सा भी हो सकता है। इस मामले में सिविल कोर्ट में याचिका दायर की गई है, जिसमें इस स्थल के मंदिर होने के ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला दिया गया है।
विवाद का मुख्य बिंदु -
• याचिका में दावा किया गया है कि जामा मस्जिद की वर्तमान इमारत पहले एक मंदिर थी, और इस स्थान का ऐतिहासिक संदर्भ नीलकंठ महादेव मंदिर के रूप में दिया गया है।
• अखिल भारत हिंदू महासभा और कुछ अन्य संगठनों ने कोर्ट में यह याचिका दायर की, जिसमें ऐतिहासिक किताबों और सरकारी प्रकाशनों का हवाला दिया गया है। इन पुस्तकों में इस स्थल को पहले मंदिर के रूप में संदर्भित किया गया है।
कानूनी पहलू -
• सिविल कोर्ट ने इस याचिका को 9 सितंबर 2022 के लिए सुनवाई के लिए मंजूरी दी है।
• मस्जिद की प्रशासनिक समिति को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है।
• याचिका में नीलकंठ महादेव को भगवान के रूप में पक्षकार के तौर पर नामित किया गया है।
प्रशासन और सुरक्षा -
इस विवाद के चलते पुलिस प्रशासन को सतर्क कर दिया गया है, क्योंकि यह मामला धार्मिक संवेदनाओं से जुड़ा है और किसी भी अप्रिय घटना की संभावना को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है।