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सद्‌‌भावना, स्वस्थ समाज का लक्षण है – डॉ. मोहन भागवत जी

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इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने स्थानीय ब्रिलियंट कन्वेशन सेन्टर में मालवा प्रांत के प्रांत एवं राष्ट्रीय स्तर के समाज प्रमुखों की सामाजिक सद्भाव बैठक को सम्बोधित किया। बैठक में मालवा प्रांत के 111 समाजों के 284 समाज प्रमुख उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं भारत माता पूजन से हुआ, तत्पश्‍चात चयनित समाज प्रमुखों ने समाज द्वारा जनकल्याण एवं सेवा कार्यों की जानकारी सभी के समक्ष प्रस्तुत की।

सरसंघचालक जी ने कहा कि समाज है, तो सद्‌‌भावना है। समाज यानी सद्‌भावना। यह अपनेपन का सम्बंध है। यह सोसायटी अर्थात सोशल कान्ट्रेक्ट नहीं है। समाज में व्यक्ति और परिवार दोनों की सत्ता होती है। समाज का एक सामान्य उद्‌देश्य धर्मयुक्त जीवन होता है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य को शरीर और उपभोग की वस्तु मानने वाले विचार ने पूरे यूरोप को ध्वस्त किया तथा यही विचार अब भारत की परिवार व्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहा है। इसने संस्थाओं को अपने नियन्त्रण में लेकर समाज को तोड़ने के लिए विश्व के 50-60 घरानों से गठजोड़ कर लिया है। इनका उद्देश्य भारत के बाजार पर कब्जा करना है। इंग्लैण्ड में 2021 में आयोजित डिस्मेंटलिंग हिन्दुत्व “सेमिनार” के पीछे यही विचार था।

भारत में धर्म और राष्ट्र एक ही बात है। इसके लिये किया जाने वाला कार्य, ईश्वरीय कार्य ही है। स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकान्द आदि महापुरुषों ने जात-पात से ऊपर उठकर समाज में राष्ट्र भाव जागृत करने का कार्य किया। समाज व परिवार के लिए मातृ शक्ति का चिन्तन पुरुषों से अधिक व्यापक होता है।

अपने-अपने क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर सभी जाति-बिरादरी साथ बैठकर अपनी बिरादरी के उत्थान के लिए चिन्तन करें तथा कमजोर समाज को ऊपर उठाने में मिलकर प्रयास करें। सब समाज मिल कर राष्ट्र व हिन्दू समाज के प्रश्नों का समाधान करें। हम हिन्दू हैं, हर हिन्दू का सुख-दु:ख हमारा सुख-दु:ख है।

कार्यक्रम का संचालन जसविंदर सिंह ठकराल, अतिथि परिचय दिनेश गुप्‍ता एवं आभार राधेश्याम पाटीदार ने किया। सरसंघचालक जी ने समाज प्रमुखों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया।