हरिद्वार, उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड में आई आपदा ने लोगों को बहुत क्षति पहुंचाई है। कई परिवारों ने अपने घर, अपने लोग खो दिए। ऐसे समय में समाज का कर्तव्य है कि वह मिलकर पीड़ितों की मदद करे। इसी दिशा में संत समाज ने एक बड़ा निर्णय लिया है, जी हां अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में संतों ने यह घोषणा की, कि वर्ष 2027 हरिद्वार में होने वाला अर्धकुंभ मेला अब पहले जैसा भव्य आयोजन नहीं होगा। उस मेले पर खर्च होने वाली बड़ी धनराशि को अब आपदा राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में लगाया जाएगा। बता दें बैठक निरंजनी अखाड़े में हुई, जिसकी अध्यक्षता जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज जी ने की उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड को किसी उत्सव या बड़े आयोजन की नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण और राहत की आवश्यकता है। संत समाज का कहना है कि मेले में लगने वाले भंडारे, झांकियां और अन्य कार्यक्रमों पर जो करोड़ों रुपए खर्च होते, वही अब उन गाँवों और परिवारों पर खर्च किए जाएंगे जिन्होंने आपदा में सब कुछ खो दिया है.. साथ ही साथ संतों ने यह भी कहा कि यह समय पितृपक्ष का है। इस दौरान जिन आत्माओं ने असमय प्राण खो दिए, उनकी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने और उनके परिवारों को संबल देने के लिए यह कदम उठाना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।