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पर्वत से परोसते सपने : महिलाओं का आत्मनिर्भर कैफे शुरू

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पिथौरागढ़, उत्तराखण्ड 

पहाड़ की ठंडी हवाओं में अब हौसलों की खुशबू घुल गई है और इस खुशबू का नाम है—‘कैफे द बुरांश बाइट्स’ कनालीछीना विकासखंड टनकपुर–तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर करते हुए अचानक एक जगह दिखता है एक खूबसूरत बोर्ड—‘कैफे द बुरांश बाइट्स’। यह कोई साधारण कैफे नहीं, बल्कि मल्लिकार्जुन स्वयं सहायता महिला समूह के सपनों और संघर्ष की कहानी है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ऋण लेकर इन महिलाओं ने तय किया कि अब पहाड़ की बेटियां आत्मनिर्भर बनेंगी। यहाँ आपको मिलेंगे पहाड़ी स्वाद से भरपूर स्थानीय व्यंजन—गहत की दाल, मंडुए की रोटी, बुरांश का शरबत—और साथ ही घर में बने शहद, अचार और मसाले, जिन्हें ये महिलाएं स्वयं तैयार करती हैं। उद्घाटन के मौके पर जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी ने कहा—"ये कैफे सिर्फ एक कारोबार नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए प्रेरणादायक मॉडल है।" ब्रिगेडियर गौतम पठानिया ने भी महिलाओं के इस कदम को सलाम किया। ये सिर्फ एक कैफे नहीं, यह एक उदाहरण है कि जब महिलाएं कदम बढ़ाती हैं, तो पहाड़ भी उनके सपनों की ऊँचाई छूने लगता है।