देहरादून, उत्तराखण्ड
आठ-आठ स्वयंसेवकों की 6 टोलियां रुद्रप्रयाग जनपद के वसुकेदार में आपदा प्रभावित सभी गांवों तक संपर्क कर आपदा पीड़ितों का दर्द बांटने का कार्य कर रही हैं। स्वयंसेवकों की टोलियां प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचकर जानकारी जुटा रही हैं, जिसके पश्चात आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। स्वयंसेवक जानकारी जुटाने के साथ ही प्रभावितों को मानसिक संबल भी प्रदान कर रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर स्वयंसेवकों ने पीड़ित परिवारों की आप बीती सुनी, कैसे रात्रि के 3 बजे 2 माह के बच्चे को लेकर मौत से जूझते रहे, रात भर बारिश में भीगते रहे।
एक डेढ़ माह का बच्चा जिसकी मां का एक माह पूर्व देहांत हो गया था, उसके पिता जितेंद्र के दर्द को देख हृदय भर आया। ऐसे परिवारों के लिए पुनः जीवन की शुरुआत हो, यही सबसे बड़ी चुनौती और प्रथम प्रयास है। प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के पास न बदलने को कपड़े हैं, न पहनने को चप्पल और न ही थक हारने के बाद एक घूंट चाय पीने का इंतजाम। इस संकट की घड़ी में स्वयंसेवकों का सहारा शायद उनके जीवन में ढांढस बंधाने का काम करेगा। स्वयंसेवकों ने वसुकेदार क्षेत्र के जोला, पाटियों, उछोला, तालजामड के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र के बगड़ क्षेत्र वार्ड नं. 6 में जाकर 15 परिवारों को चयनित किया, जिसमें 6 अति प्रभावित परिवार हैं। जिनका उनके प्राणों के अतिरिक्त कुछ भी शेष नहीं है, ऐसे परिवारों की पीड़ा को समझा। इसके अतिरिक्त 10 अन्य परिवार हैं जो आपदा से अत्यधिक प्रभावित हैं।
स्वयंसेवकों की दो टीमों ने जोला में 11 परिवारों को चिन्हित किया, ऐसे ही पाटियों, बड़ैत, डूंगर के कुछ परिवार चयनित किए गए। ऐसे ही एक टोली ने बधानीताल से भुनाल गांव, बक्सिर, खोड डांगी, मथ्या गांव तक संपर्क किया। जहां लोग सुरक्षित हैं, किंतु संपर्क टूटा हुआ है। वहां जन सामान्य से भी स्वयं खड़े होकर संकट से पार आने का स्वयंसेवकों ने आग्रह किया। 48 स्वयंसेवकों की टोली निःस्वार्थ भाव से विगत कई दिनों से समाज के दर्द को अपना दर्द समझकर सेवा कार्य में लगे हैं। आगे राहत कार्य तथा पीड़ित परिवार जब तक आत्मविश्वास के साथ खड़े नहीं हो जाते, तब तक हर सम्भव राहत पहुंचाने का संकल्प लिए सेवा कार्य में जुटे रहेंगे।