वाराणसी
संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह अंतरआत्मा में छिपे तनाव को दूर करने की क्षमता रखता है। प्राचीन परंपराओं में संगीत के राग और सुरों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधारने का माध्यम माना गया है। इसी कड़ी में अब संगीत को वैज्ञानिक रूप से मानसिक रोगों के इलाज से जोड़ा जा रहा है। जी हां वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने एक पहल करते हुए संगीत चिकित्सा को मानसिक स्वास्थ्य उपचार का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में मनोविज्ञान विभाग के अंतर्गत ‘सेंटर फॉर वेल बीइंग’ के तहत देश की पहली संगीत चिकित्सा प्रयोगशाला यानि की म्यूजिक थेरेपी लैब की शुरुआत की गई। इस अनोखे केंद्र का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया। साथ ही, मनोवैज्ञानिक निर्देशन और परामर्श अनुसंधान केंद्र का भी शुभारंभ हुआ। इस नए म्यूजिक थेरेपी सेल और रिसर्च सेंटर में मरीजों का उपचार दवाओं या इंजेक्शनों से नहीं, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के रागों के माध्यम से किया जाएगा। केंद्र के प्रमुख डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय ने बताया कि यहां दो विशेष प्रकार की थेरेपी—‘एक्टिव म्यूजिक रूम’ और ‘रिसेप्टिव म्यूजिक थेरेपी रूम’ के जरिए मानसिक बीमारियों का इलाज किया जाएगा। पहले चरण में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों को इस थेरेपी का लाभ मिलेगा। वही डॉ. उपाध्याय का मानना है कि इस पहल से अवसाद, तनाव और अन्य मानसिक समस्याओं से पीड़ित लोगों को दवाओं के बिना राहत मिल सकेगी। वही विश्वविद्यालय के पीजी डिप्लोमा इन साइकोथेरेपी, काउंसलिंग एंड गाइडेंस के विद्यार्थियों सहित स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं को भी संगीत चिकित्सा की विशेष शिक्षा दी जाएगी। इस केंद्र से प्रशिक्षित विद्यार्थी आगे विभिन्न क्षेत्रों में परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करेंगे। इस पहल ने यह तो सिद्ध कर दिया है कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने का सरल साधन भी बन सकता है।