हरिद्वार
हरिद्वार के करचंदपुर गांव की महिलाएं अब सिर्फ फूल नहीं उगातीं, वे उम्मीदें उगाती हैं, सम्मान की खुशबू फैलाती हैं जो आत्मनिर्भरता की नई मिसाल बन गई हैं। ‘खुशी स्वयं सहायता समूह’ की इन साधारण गृहिणियों ने सरकारी योजना और एनआरएलएम के सहयोग से जब फ्लोरीकल्चर की राह पकड़ी, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि ये महिलाएं एक दिन "लखपति दीदी" कहलाएँगी। श्री राधे कृष्णा सहकारिता और नारसन ब्लॉक की मदद से इन महिलाओं ने गेंदे के फूलों की खेती की — छह महीने में 30,000 किलो फूल उगाए, बेचे और पहले ही सीजन में 4.21 लाख रुपये का लाभ कमा लिया। कभी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करने वाली ये महिलाएं अब न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि पूरे गाँव के लिए प्रेरणा का दीप बन चुकी हैं। समूह की अध्यक्ष आंचल देवी के नेतृत्व में यह सफर सिर्फ आर्थिक बदलाव नहीं है, अपितु ग्रामीण भारत की महिलाओं की सामूहिक चेतना, परिश्रम और जिजीविषा की जीत है — जो बता रही है कि अगर सहयोग मिले, तो हर हाथ सृजन कर सकता है और हर महिला बन सकती है बदलाव की मशाल!