सोलापुर, पश्चिम महाराष्ट्र
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि वात्सल्य का वरदान प्राप्त मातृशक्ति में समाज के उद्धार का विचार स्वाभाविक रूप से होता है। इसलिए, जब यह शक्ति खड़ी हो जाएगी, तो राष्ट्र की उन्नति निश्चित रूप से होगी। सरसंघचालक जी हुतात्मा स्मृति मंदिर में आयोजित उद्योगवर्धिनी संस्था के ‘परिवार उत्सव’ कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। महिला सक्षमीकरण के लिए कार्यरत संस्था की 21वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर जिलाधिकारी कुमार आशीर्वाद, संस्था के सलाहकार राम रेड्डी, उद्योगवर्धिनी संस्था की संस्थापक अध्यक्ष चंद्रिका चौहान और सचिव मेधा राजोपाध्ये उपस्थित रहे।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने सलाह दी कि पुरुषों को यह बड़प्पन नहीं दिखाना चाहिए कि वे महिलाओं के उद्धार का कार्य कर रहे हैं। “महिलाएं जो काम कर सकती हैं, वह पुरुष नहीं कर सकते। इसलिए महिलाओं को उनकी इच्छा के अनुसार काम करने की स्वतंत्रता देनी चाहिए। इसके लिए उन्हें अनुचित रूढ़ियों के बंधन से मुक्त करना चाहिए।” उद्योगवर्धिनी संस्था सामान्य लोगों के असाधारण प्रदर्शन से खड़ी हुई है। सरसंघचालक ने आह्वान किया कि संस्था अपने सशक्तिकरण के साथ-साथ अपनी प्रेरणा से अन्य स्थानों पर भी उद्योगवर्धिनी जैसी संस्थाएं खड़ी करे। कार्यक्रम में उद्योगवर्धिनी पर आधारित ‘अखंड यात्रा’ नामक एक वृत्तचित्र (डॉक्यूमेंट्री) दिखाया गया। साथ ही, नयनबेन जोशी द्वारा लिखित और वरिष्ठ पत्रकार अरुण करमरकर द्वारा संपादित पुस्तक ‘उद्योगवर्धिनी की सेवाव्रती’ का विमोचन किया गया। संस्था के कार्यों की समीक्षा करते हुए राम रेड्डी ने कहा, “उद्योगवर्धिनी संघर्षमय जीवन जीने वाली महिलाओं के जीवन को रोशन करने का काम करती है। यह जरूरतमंद महिलाओं का कौशल विकास करके उन्हें उद्योग के आधार पर सशक्त बनाने की प्रक्रिया है। उद्योगवर्धिनी न केवल सोलापुर की, बल्कि महाराष्ट्र की महिलाओं को सहारा देने वाली संस्था के रूप में उभर रही है। संस्थापक अध्यक्ष चंद्रिका चौहान ने आह्वान किया कि उद्योगवर्धिनी समाज की है और समाज को इसमें योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह संस्था वरिष्ठ संघ प्रचारक नानाजी देशमुख की प्रेरणा से शुरू हुई और स्वयंसेवकों की मदद से, सोलापुरवासियों के सहयोग से और महिलाओं के श्रम से खड़ी हुई है। महिला स्वावलंबन के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए प्रशासन सहित समाज के सहयोग की अपेक्षा है। सलाहकार समिति की सदस्य डॉ. सुहासनी शहा ने परिचय करवाया, अपर्णा सहस्त्रबुद्धे ने सूत्र संचालन किया, डॉ. माधवी रायते ने आभार व्यक्त किया।
अपनापन ही संघ कार्य की प्रेरणा – सरसंघचालक
बिहार के अकाल (दुष्काळ) में संघ स्वयंसेवकों द्वारा किए कार्य को देखकर जयप्रकाश नारायण अभिभूत हो गए थे। उन्होंने दिल्ली में एक शिविर का दौरा किया और स्वयंसेवकों से परिचय किया। तब उन्हें कई दशकों से संघ कार्य कर रहे स्वयंसेवकों का परिचय मिला। जयप्रकाश जी ने स्वयंसेवकों से पूछा, ‘आपके काम की प्रेरणा क्या है?’ तब स्वयंसेवकों ने बताया, ‘समाज का दुःख ही हमारी प्रेरणा है।’ सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा, “अपनापन ही संघ कार्य की प्रेरणा है।” आत्मीयता की प्रेरणा से किया गया कार्य निरंतर चलता रहता है। अहंकार को दूर कर सहजता से समाज के पीड़ितों का दुःख दूर करना हमारा कर्तव्य है। यदि सारा समाज स्वार्थ और भेद भूलकर ऐसे कार्यरत हो जाए, तो देश का भाग्य बदल जाएगा।
स्वयं के साथ समाज की उन्नति की प्रेरणा
वासंती साळुंखे ने बताया कि उद्योगवर्धिनी में आने के बाद न केवल उनका घर संभला, बल्कि उनके बेटे की शिक्षा भी पूरी हुई। आज उनके पास अपना पक्का घर है और वे अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संस्था के अन्नपूर्णा विभाग में कार्यरत हैं। वहीं, 2005 से संस्था के महिला बचत समूह में कार्यरत मीनाक्षी सलगर ने कहा, “हमारे बचत समूह ने सशक्त होकर कई महिलाओं के जीवन को संवारा है। आज मुझे उद्योगवर्धिनी के सेवा पाथेय प्रकल्प में समय देने का अवसर मिल रहा है। इस बीच मेरी बेटी का निधन हो गया। लेकिन सेवा पाथेय उपक्रम के कारण मुझे 500 लड़कियों के जीवन को संवारने का काम करने का अवसर मिला।”