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सर्वश्रेष्ठ गंगा शहर में यूपी का पहला बायो-CNG प्लांट

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 प्रयागराज, यूपी

प्रयागराज ने स्वच्छता और ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई पहल शुरु की है।  जी हां नैनी क्षेत्र के अरैल में उत्तर प्रदेश का पहला बायो-CNG प्लांट शुरू हो गया है। यह अत्याधुनिक प्लांट शहर के गीले कचरे को बायो गैस और जैविक खाद में बदलकर न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा, बल्कि नगर निगम की आय और स्थानीय लोगों के रोजगार का भी नया स्रोत बनेगा। बताते चले की प्लांट के उद्घाटन के दिन ही नगर निगम की ओर से 20 टन गीला कचरा, जिसमें किचन और रेस्टोरेंट का वेस्ट शामिल था, यहां पहुंचाया गया और प्रोसेसिंग शुरू की गई। वही आने वाले दिनों में इस प्लांट की क्षमता बढ़कर 100 से 125 टन गीले कचरे तक पहुंच जाएगी। इससे नगर निगम को सालाना करीब 53 लाख रुपये की आय होगी और शहर के बेकार कचरे का सही उपयोग हो सकेगा। जानकारी के अनुसार, इस बायो-CNG प्लांट की कुल क्षमता 343 टन प्रतिदिन है। यहां हर दिन करीब 21.5 टन बायो गैस, 109 टन ठोस जैविक खाद और 100 टन तरल जैविक खाद तैयार की जाएगी। फिलहाल पहले चरण में 200 टन गीले कचरे से गैस उत्पादन शुरू हो चुका है बता दें प्रयागराज नगर निगम ने इसके लिए नैनी के जहांगीराबाद में 12.95 एकड़ भूमि दी है। प्लांट का संचालन एवर एनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।

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स्वच्छता के साथ बढ़ेगा रोजगार

नगर निगम के पर्यावरण अभियंता उत्तम कुमार वर्मा के अनुसार, यह परियोजना हर साल लगभग 56,700 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करेगी। इससे लैंडफिल साइट्स पर जाने वाला कचरा घटेगा और शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। इस प्लांट के संचालन से करीब 200 लोगों को रोजगार मिलेगा। इनमें 40 लोग सीधे प्लांट में कार्यरत होंगे, जबकि 150 से अधिक लोग अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़ेंगे। 

स्वच्छता में गूंजा प्रयागराज का नाम

वही इन्ही तमाम स्वच्छता प्रयासों की बदौलत आज प्रयागराज ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में देशभर में अपनी छाप छोड़ी है। गंगा टाउन कैटेगरी में प्रयागराज ने पहला स्थान हासिल किया है, जबकि ऑल इंडिया रैंकिंग में शहर 12वें स्थान पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि प्रयागराज ने स्वच्छता को केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन बना दिया है। प्रयागराज का बायो-CNG प्लांट और स्वच्छता में उसकी शीर्ष उपलब्धियां यह सिद्ध करती हैं कि सही दिशा और तकनीक के साथ कचरे को भी ऊर्जा, खाद और आर्थिक संपत्ति में बदला जा सकता है।