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उत्तर प्रदेश की भूमि से ध्वस्त होता विदेशी षड्यन्त्र का नेटवर्क

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उत्तर प्रदेश 


लवजिहाद के नाम पर मतांतरण गैंग के विदेशी मॉड्यूल का उत्तर प्रदेश की पुलिस भंडाफोड़ कर चुकी है, बलरामपुर से संचालित छांगुर और आगरा के मतांतरण गैंग के गुर्गों की लगातार धरपकड़ जारी है। वहीं अब उत्तर प्रदेश एटीएस की टीम भी विदेशी संदिग्धों पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं। प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से अवैध घुसपैठिए भी पकड़े जा रहे हैं। वहीं घुसपैठियों को भारत में बसाने वाले नेटवर्क से भी पर्दे उठ रहे हैं। यूपी एटीएस की टीमें प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कड़ी छानबीन कर रही हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं समेत विदेशी घुसपैठियों को भारत में बसाने वाले 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सभी पर भारत के नकली पहचान पत्र, आधारकार्ड और पासपोस्ट तक चंद पैसों के लिए तैयार करने का आरोप है।

इनमें से दो आरोपी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिले सहारनपुर से पकड़े गए हैं। बेहट थाना के निवासी अक्षय सैनी और थाना कोतवाली देहात निवासी तालिब अंसारी शामिल है। इनमें से 3 आरोपी आजमगढ़ के रहने वाले हैं, जबकि 2 मऊ और एक-एक आरोपी औरैया, गोरखपुर और गाजियाबाद से पकड़े गए हैं।

उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमिताभ यश के अनुसार, यह गिरोह इलेक्ट्रॉनिक और मैनुअल दोनों तरीकों से दस्तावेजों की जालसाजी करता था और कम से कम 9 राज्यों में सक्रिय था. उन्होंने बताया, 'पिछले कुछ महीनों से मिली जानकारी और निगरानी से खुलासा हुआ कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड में सक्रिय था.'




यूपी से घुसपैठियों के 10 मददगार गिरफ्तार

मोहम्मद नसीम- आजमगढ़

मोहम्मद शाकिब- आजमगढ़

विशाल कुमार- आजमगढ़

हिमांशु राय- मऊ

मृत्युंजय गुप्ता- मऊ

सलमान अंसारी- गाजियाबाद

गौरव कुमार गौतम- औरैया

राजीव तिवारी- गोरखपुर

अक्षय सैनी- सहारनपुर

तालिब अंसारी- सहारनपुर

2000 से 40,000 रुपये में राष्ट्र सुरक्षा से खिलवाड़?

गिरोह के सदस्य रजिस्टर्ड जनसेवा केंद्रों पर काम करते थे और वहां से आधार पंजीकरण की प्रक्रिया की जानकारी हासिल कर लेते थे। इसके बाद वे अधिकृत उपयोगकर्ताओं की आईडी-पासवर्ड, अंगूठे के निशान और आईरिस स्कैन की तस्वीरें गैरकानूनी तरीके से जुटा लेते थे और इनका गलत इस्तेमाल पहले से बने आधार कार्डों में एडिट करते थे। एडिट किए गए फर्जी आधार कार्डों को 2 हजार से लेकर 40 हजार रुपये में रोहिंग्या समेत कई विदेशी नागरिकों को बेच दिया जाता था। इन आधार कार्डों का इस्तेमाल पासपोर्ट बनवाने, दूसरे फर्जी भारतीय दस्तावेज तैयार करने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया जाता था। फर्जी पहचान पत्रों के साथ विदेशी नागरिकों की भारत में घुसपैठ आसान हो जाती थी।

प्रदेश में 2 दिन में 4 घुसपैठिए गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश से ही हाल में घुसपैठियों की संख्या बढ़ी है। प्रदेश के अंदर के क्षेत्रों में भी  बरेली के प्रेमनगर थाना इलाके से 3 बांग्लादेशी महिलाएं गिरफ्तार की गईं। तीनों महिलाओं के नाम मुनारा बी, सायरा बानो और तस्लीमा है। बरेली पुलिस की मानें तो तीनों महिलाएं बहनें हैं, तीनों लंबे समय से फर्जी पहचान के सहारे भारत में रह रही थीं। मुख्य आरोपी मुनारा बी ने फर्जी तरीके से तीन-तीन भारतीय पासपोर्ट भी बनवा लिए थे, जिन पर तीनों बहनें नाम बदलकर दुबई समेत खाड़ी देशों की यात्राएं करती थीं। तीनों महिलाएं वास्तव में बांग्लादेश के जेस्सोर जिले के खुलना की मूलनिवासी हैं। ये महिलाएं न केवल भारत में फर्जी तरीके से रह रही थीं, बल्कि भारतीयों के अधिकारों पर भी डाका डालने का काम कर रही थीं, इन महिलाओं ने फर्जी पासपोर्ट और पहचान पत्र के साथ-साथ नकली राशन कार्ड तक बनवा लिया था।

वहीं राजधानी लखनऊ से एक थाईलैंड की महिला पकड़ी गई है, जो पहले ही भारत में यात्रा के लिए ब्लैकलिस्टेड थी। थोंगफुन चायफा उर्फ दरिन चोकथनपट नाम की इस महिला के पास से तीन फर्जी पासपोर्ट और 2 थाईलैंड के पहचान पत्र मिले हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि ये महिला थाईलैंड से फर्जी भारतीय पासपोर्ट बनवाकर आई थी। महिला के साथ उसका मददगार जसविंदर भी गिरफ्तार किया गया है। अब फर्जी वीजा दिलवाने वालों की तलाश में छापेमारी की जा रही है, ताकि पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ हो सके।


एक ओर जहाँ सरकारें घुसपैठ पर सख्त कदम उठा रही हैं, पुलिस प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां विदेशी षड्यन्त्रों को कुचलने में जुटी हैं। वहीं अब आवश्यकता है कि आम जनता को भी राष्ट्र सुरक्षा को लेकर सतर्क होना होगा।