हिन्दू धर्म में नहीं है धर्म परिवर्तन को प्रश्रय – श्री गुरुजी
ईश्वर-साक्षात्कार के बारे में श्री गुरुजी ने कहा, "ऐसा नहीं कि ईश्वरीय साक्षात्कार केवल हिन्दू ही कर सकते हैं। अपने-अपने धर्म मतों के अनुसार ईश्वर का साक्षात्कार कोई भी कर सकता है। शृंगेरी मठ के शंकराचार्य का ही एक उदाहरण लें। एक बार एक अमरीकी व्यक्ति उनके पास गया और कहने लगा कि 'मुझे हिन्दू कर लीजिए'। शंकराचार्य ने उससे पूछा कि 'आपको हिन्दू बनने की इच्छा क्यों हो रही है?' उसने कहा, 'मुझे ईसाई धर्म से शान्ति प्राप्त नहीं हुई और मेरी आध्यात्मिक तृष्णा शान्त नहीं हुई।' इस पर शंकराचार्य ने कहा, 'क्या आपने वाकई प्रामाणिकता से ईसाई धर्म का पालन किया है? उसके बाद यदि आपका यह मत बने कि ईसाई धर्म का प्रामाणिकता से पालन करने के बाद भी मन को शांति नहीं मिली, तो फिर आप मेरे पास अवश्य आइए।' हमारे धर्म में धर्म परिवर्तन को कोई प्रश्रय नहीं है। हमारा कहना है कि ‘यह सत्य है। आपको स्वीकार न हो तो छोड़ दें, अन्यथा इसे ग्रहण करें।'
।। श्री गुरुजी व्यक्तित्व एवं कृतित्व, डॉ. कृष्ण कुमार बवेजा, पृष्ठ – 149 ।।




