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मंत्रों की शक्ति से आरोग्य की ओर

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काशी (वाराणसी), उत्तर प्रदेश : वो समय जब भारत विश्वगुरु था, तो ज्ञान मात्र पुस्तकों में नहीं अपितु वाणी, मंत्रों और जीवनशैली में भी था। जब रोग के उपचार के लिए न दवाइयों की लंबी कतारें थीं, न मशीनों की चुभन... बस मंत्रों की ऊर्जा थी, ध्यान की स्थिरता थी और प्रकृति की चिकित्सा। आज उसी प्राचीन विज्ञान की वापसी हो रही है काशी की पवित्र धरती से। काशी में पहली बार शुरू हुआ है 21 दिवसीय मंत्र चिकित्सा शिविर, जहाँ तीन हजार प्राचीन मंत्रों के माध्यम से विभिन्न मानसिक और शारीरिक रोगों का उपचार किया जा रहा है। यह पहल नव भारत निर्माण समिति और सनातनम – द फायर की ओर से की गई है।

प्राचीन भारत में चिकित्सा का आधार मात्र शरीर नहीं, अपितु मन और आत्मा भी होता था। अब उसी परंपरा को आधुनिक जीवन में फिर से जीवित किया जा रहा है। हर रोगी के लिए वैदिक, जैन, बीज व आयुर्वेदिक मंत्रों का चयन उसकी रोग-स्थिति के अनुसार किया गया है। शिविर में सुबह और शाम तीन घंटे तक ध्यान, योग, प्राणायाम और मंत्रों का सामूहिक जाप किया जाता है। पहले ही दिन 42 रोगियों ने भाग लिया, जिनमें ऑटिज्म, हाइपर एक्टिविटी जैसे रोग शामिल थे। यह केवल चिकित्सा नहीं, यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है। भारत पुनः जाग रहा है - अपनी जड़ों की ओर लौटते हुए, अपनी उस ऊर्जा की ओर लौटते हुए जो कभी उसे विश्वगुरु बनाती थी। मंत्र चिकित्सा उसी गाथा का एक नया अध्याय है। काशी की इस पवित्र भूमि से उठती मंत्रध्वनि एक संदेश है – कि भारत अब मात्र बीते गौरव की कहानी नहीं, अपितु भविष्य का पथप्रदर्शक भी है।