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इतिहास

सद्गुणों के संस्कार से पोषित होती है वास्तविक शिक्षा – श्री गुरुजी

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 सद्गुणों के संस्कार से पोषित होती है वास्तविक शिक्षा – श्री गुरुजी  

गीता विद्यालय, कुरूक्षेत्र (हरियाणा) की रजत जयन्ती के अवसर पर अपने सम्बोधन में श्री गुरुजी कहते हैं, "वास्तव में शिक्षा तो वह है। जिसके द्वारा मनुष्य उत्तरोत्तर अपनी उन्नति करता हुआ जीवन के सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य को प्राप्त कर सके। इस अन्तिम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि मनुष्य में अनेक प्रकार के सद्गुण हों। ये सद्गुण सहसा नहीं आयेंगे। इनके लिए प्रयत्न करना होगा । इसीलिए इन गुणों के संस्कार बचपन से ही अपने जीवन में करते रहने की आवश्यकता रहती है। " इन सद्गुणों का उल्लेख कई बार हमारे समाज-जीवन में होता रहता है। सच्चाई से रहना, किसी के बारे में अपने अन्त:करण में द्वेष की, घृणा की भावना न रखना, काया, वाचा, मनसा पवित्र रहना, काम-कांचन के सब प्रकार के व्यामोह से दूर रहना, अपने-आप को पूरी तरह काबू में रखना, इस प्रकार अन्तःकरण को विशाल बनाना कि पूरा विश्व ही मेरा परिवार है, इस विशाल मानव-समाज की सेवा में स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर देना, इस समर्पण में भी कोई स्वार्थ मन में न आने देना आदि संस्कार बहुत आवश्यक हैं।"

।। श्री गुरुजी समग्र दर्शन, खण्ड - 07, भारतीय विचार साधना, नागपुर, पृष्ठ – 2-3 ।।