विदेशी बर्बर आक्रांताओं ने न केवल भारत को लूटा बल्कि संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भारत की आत्मा, भारत की आस्था पर भी आघात किया। जबरन कन्वर्जन किया। करीब हजार वर्ष तक चले लंबे संघर्ष के बाद बर्बर आक्रांताओं से मुक्ति तो मिली लेकिन उनके नाम आज भी उनके दिए घाव को ताजा किए हैं। इन घावों को भरने के लिए जरूरी है कि उनके नाम को भी यहां से मिटा दिया जाए। इनके नामों की सूची बड़ी लंबी है। इन नामों को मिटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका दायर की है पीआईएल मैन के नाम से विख्यात वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने। उन्होंने करीब एक हजार नामों की सूची याचिका के साथ दी है। उनका यह भी कहना है कि सरकार ऐतिहासिक गलतियों को ठीक करने में सक्षम है।
अश्विनी उपाध्याय ने याचिका के जरिये सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह पुनर्नामित आयोग (रिनेमिंग कमीशन) गठित करने के लिए सरकार को निर्देश दे। उन्होंने इसे संविधान सम्मत बताया है और संविधान के अनुच्छेद 21,25 और 29 का जिक्र किया है। ऐतिहासिक गलतियों को ठीक करने के लिए उन्होंने कई कोर्ट के कई निर्णयों का भी उल्लेख किया है- एम सिद्दीक और अन्य बनाम महंत सुरेश दास और अन्य, प्रमोद चंद्र देब बनाम ओडिशा राज्य, केसी गजपति नारायण देव बनाम ओडिशा। याचिका में ये प्रश्न भी उठाए गए हैं कि क्या प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों का नाम बर्बर आक्रमणकारियों के नाम पर जारी रखना संप्रभुता के विरुद्ध है? क्या केंद्र और राज्य प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों के नाम उनके मूल नाम में बदलने के लिए बाध्य हैं ? अश्विनी उपाध्याय ने इस याचिका के साथ ही कई तथ्य और न्यायालय द्वारा पूर्व में लिए गए कई निर्णयों की ओर ध्यान दिलाया है। उन्होंने याचिका के जरिये मांग की है कि गृह मंत्रालय को प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों के मूल नामों का पता लगाने के लिए एक पुनर्नामित आयोग गठित करने का निर्देश दिया जाए। कोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थलों के प्रारंभिक नामों पर शोध करने और प्रकाशित करने का निर्देश दे सकता है।
दिल्ली में है बाबर रोड
अजातशत्रु नगर बन गया बेगूसराय, विदेहपुर से मुजफ्फरपुर
भगवान कृष्ण ने प्रस्ताव दिया कि यदि कौरव केवल 5 गांव जैसे इंद्रप्रस्थ (दिल्ली), स्वर्णप्रस्थ (सोनीपत), पंप्रस्थ (पानीपत)
धाराशिव से उस्मानाबाद
वैदिक नगरी विराट का नाम क्रूर होशियार खान के नाम पर रखा गया
लक्ष्मीनगर का नाम मुजफ्फरनगर
लखनऊ में अमीनाबाद, आलमबाग, हुसैनाबाद, खुर्रमनगर, मौलवीगंज, अकबरी गेट जैसे कई नगरपालिका वार्ड हैं; कानपुर में नायबगंज, फजलगंज; आगरा में शाहगंज, सिकंदरा, ताजगंज, फतेहाबाद; गाजियाबाद में सादिकपुर, साहिबाबाद, सहनी खुर्द; प्रयागराज में अहमद रोड, मुजफ्फर नसीम रोड, नवाब यूसुफ रोड, नूरुल्लाह रोड; बरेली में अब्दुल्लापुर, आजमपुर, आलमपुर, अहमदपुर, बड़कापुर; अलीगढ़ में नौरंगाबाद, वाजिदपुर, मसूद नगर, सलेमपुर; मुजफ्फरनगर में आलमगीरपुर, अलीपुर, मुस्तफाबाद, नसरुल्लापुर, सैदपुर खुर्द, सलाजुद्दी; अमृतसर में हुसैनपुरा, इत्हद नगर, मुस्तफाबाद; लुधियाना में फिरोजपुर रोड, पखोवाल रोड: राजस्थान में अंबाबारी, मिर्जा इस्माइल रोड, खेमा-का-कुवा, जिन्ना रोड; मध्य प्रदेश में हबीब गंज, हमीदिया रोड, होशंगाबाद रोड, जहांगीराबाद सुल्ताना रोड।
विनाशकारी युद्ध को टालने के लिए, भगवान कृष्ण ने प्रस्ताव दिया कि यदि कौरव केवल 5 गांव जैसे इंद्रप्रस्थ (दिल्ली), स्वर्णप्रस्थ (सोनीपत), पंप्रस्थ (पानीपत), व्याघ्रप्रस्थ (बागपत) और तिलप्रस्थ (फरीदाबाद); दे दें तो पांडव अधिक मांग नहीं करेंगे। ‘तिलप्रस्थ’ का नाम ‘शेख फरीद’ के नाम पर फरीदाबाद किया गया। अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में उल्लेख किया कि जहांगीर ने अपनी आत्मकथा ‘जहांगीर नामा’ में बताया है कि कैसे क्रूर शेख फरीद ने मंदिरों को नष्ट कर दिया और हजारों हिंदुओं का कन्वर्जन किया