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उत्तराखंड के नैनीताल की आशा 16 से भी ज्यादा दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में कैंप लगाकर महिलाओं को स्तन और सर्वाइकल कैंसर के बारे में जागरूक कर चुकी हैं और उनकी यह अभियान आगे भी लगातार जारी है। आशा को लोग ‘पिंक लेडी’ के नाम से जानते हैं और यह नाम उन्हें उनकी पिंक अभियान जो कैंसर के प्रति जागरूकता को लेकर छेड़ी गई थी, उसके माध्यम से ही मिला है.

वे आशा फाउंडेशन के माध्यम से बालिका शिक्षा, नशे के दुष्प्रभाव, पर्यावरण संरक्षण जैसे कई मुद्दों पर काम करती है, लेकिन इन सबसे विशेष है उनका महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति छेड़ा गया पिंक अभियान, जिसे उन्होंने 2019 में शुरू किया था. इस अभियान के अंतर्गत वह महिलाओं को खासकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक करती हैं. इसके लिए वह सुष्मा स्वराज स्त्री शक्ति सम्मान, हिमालय नारी शक्ति सम्मान जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुकी हैं.

आशा शर्मा ने बताया कि इस अभियान को शुरू करने के पीछे एक खास वजह है जो उनसे जुड़ी हुई है, जिसके बारे में उन्होंने बताया कि बीमारी की वजह से 2011 में उनका गर्भाशय निकालना पड़ा. इतना ही नहीं 2014 में उनकी ब्रेस्ट सर्जरी भी हुई. जिसको देखते हुए अब वह अन्य महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरुक कर रही हैं