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लखीमपुर में मतांतरण का खेल: चावल और पानी के लालच में करवा रहे ईसाई मतांतरण

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- मिशनरियों पर आरोप है कि वे आर्थिक प्रलोभन, चंगाई का झांसा और डर का सहारा लेकर स्थानीय दलितों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं

- नीमगाँव थाना क्षेत्र के बेजहम गाँव में बाबूराम नामक व्यक्ति के घर पर रविवार (26 जनवरी 2025) को मतांतरण का आयोजन किया गया था

लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में ईसाई मिशनरियों द्वारा मतांतरण के प्रयासों का एक नया मामला सामने आया है। मिशनरियों पर आरोप है कि वे आर्थिक प्रलोभन, चंगाई का झांसा और डर का सहारा लेकर स्थानीय दलितों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।  

घटना का विवरण - 

नीमगाँव थाना क्षेत्र के बेजहम गाँव में बाबूराम नामक व्यक्ति के घर पर रविवार (26 जनवरी 2025) को मतांतरण का आयोजन किया गया था। यहाँ प्रमोद कुमार बाल्मीकि नामक पादरी और बाबूराम ने कई ग्रामीणों को इकट्ठा किया। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें 'विशेष दवा' से स्वास्थ्य लाभ का वादा किया गया और ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा गया। शिकायत में यह भी बताया गया कि लोगों से उनके माथे का तिलक हटाने और घर से देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बाहर फेंकने को कहा गया। इसके बदले में उन्हें एक बोरी चावल, तेल, और पानी का लालच दिया गया।  

पुलिस कार्रवाई -

मामले की जानकारी मिलने पर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय पुलिस को सूचित किया। नीमगाँव की एसओ सुनीता कुशवाहा और बेहजम चौकी प्रभारी सिद्धांत पवार ने मौके पर छापा मारा। मौके पर दर्जनों लोग मौजूद थे, और प्रारंभिक जाँच में आर्थिक प्रलोभन के जरिए मतांतरण की पुष्टि हुई। पुलिस ने दो आरोपितों को हिरासत में लिया और मामले में एफआईआर दर्ज की।  

हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया - 

घटना का खुलासा करने वाले हिंदू कार्यकर्ता सूर्यमणि मिश्र ने कहा, “लंबे समय से यहाँ मतांतरण की शिकायतें मिल रही थीं। गरीबों को झांसा देकर उनका धर्म बदला जा रहा था। हमने स्थानीय पुलिस को जानकारी दी और इस कृत्य को उजागर किया।"  

चिंताएँ और समाज पर प्रभाव -  

इस घटना ने एक बार फिर मिशनरियों द्वारा मतांतरण के लिए गरीब और वंचित वर्गों को निशाना बनाने के मुद्दे को उजागर किया है। हिंदू संगठनों ने इस प्रकार की घटनाओं को रोकने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है। पुलिस द्वारा मामले की गहन जाँच जारी है। यह घटना उत्तर प्रदेश में बढ़ते मतांतरण के मामलों पर प्रशासन और समाज को सतर्क रहने की जरूरत को रेखांकित करती है।