नई दिल्ली. भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बार फिर इतिहास रचा. भारत का पहला सूर्य मिशन Aditya L1 (सोलर मिशन) सफलतापूर्वक अपनी मंजिल पर पहुंच गया. सोलर मिशन आदित्य-एल1 को सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक कक्षा में स्थापित किया गया. यहां आदित्य दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा. और सूर्य के भेद खोलेगा.
एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी के बीच मौजूद पांच स्थानों में से एक है, जहां दोनों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है. ये वे स्थान हैं, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है. पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है, जिससे यहां मौजूद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है.
एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का केवल 1 फीसदी है. दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है. यह कक्षा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उपग्रह को ग्रहण से बचने में सक्षम बनाती है और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के हस्तक्षेप के बिना लगातार सौर अवलोकन प्रदान करती है. आदित्य-एल1 मिशन 2 सितंबर को पीएसएलवी-सी57 से लॉन्च किया गया था. 110 दिवसीय पारगमन की एक श्रृंखला के बाद, अंतरिक्ष यान अब हेलो ऑर्बिट में है.
मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सौर वायुमंडल, विशेष रूप से क्रोमोस्फीयर और कोरोना का अध्ययन करना है और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सौर फ्लेयर्स और सौर कोरोना की रहस्यमय हीटिंग जैसी घटनाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करना है.
आदित्य पर सात वैज्ञानिक पेलोड तैनात किए गए हैं. इनमें विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (सूइट), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्सस), हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस) शामिल हैं, जो सीधे तौर पर सूर्य को ट्रैक करें. वहीं, तीन इन-सीटू (मौके पर) मापने वाले उपकरण हैं, जिनमें आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), और एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (एटीएचआरडीएम) शामिल हैं.
प्रधानमंत्री ने दी शुभकामनाएं –
उन्होंने एक्स पोस्ट कर किय़ा कि ‘भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई. सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. यह असाधारण उपलब्धि सराहना योग्य है. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे. वह इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में देश के साथ शामिल हैं.