• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

रामायण कॉन्क्लेव में बोले जगतगुरु रामभद्राचार्य , 2047 तक भारत बनेगा विश्वगुरु

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। ऑनलाइन जुड़े जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने रामायण के मूल्यों को समझाया। उन्होंने रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही। कहा कि रामायण राष्ट्र की धरोहर है। गंगोत्री से गंगासागर तक, कश्मीर से कन्याकुमारी तक राम हर मानव के मन में हैं। मुख्य अतिथि सतीश महाना ने कहा कि श्रीराम के जीवन से विनम्रता, शीतलता, शिष्यों का अपने गुरु के प्रति समर्पण और परंपरा की सीख मिलती है। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक विश्वगुरु बनेगा।

 कार्यक्रम में सिया, राम , भरत, लक्ष्मण, हनुमान के भेष में जैसे ही प्रतिभागी जैसे ही रैंप पर उतरे तो पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। रैंप वॉक करते समय बॉलीवुड गानों की जगह पूरा हॉल जयश्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। सर्वेश्वर मंदिर से यूआईईटी हॉल तक शोभायात्रा निकाली गई।

इस कार्यक्रम में सिया राम रूप, भक्ति गायन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। सियाराम रूप प्रतियोगिता में सिया के रूप में आईना कपूर, राम के रूम में प्रियंवदा, सौम्या, ऋषभ यादव व अनुराग शुक्ला, लक्ष्मण के रूम में अभय दीक्षित, हुनमान के रूप में अंश गुप्ता प्रतिभाग किया। कॉन्क्लेव में रामायण गान, भजन, निबंध प्रतियोगिताएं भी हुईं।

स्वामी मिथिलेश नंदिनी ने युवाओं को वाल्मिकी रामायण से आत्मसात होने की बात कही। कहा कि दुख होता है कि देश में रामायण की जगह मूर्ख लेखकों की किताबों को ज्यादा पढ़ा जाता है। उनकी किताबों को बेस्ट सेलिंग का खिताब मिलता है, जबकि उनके पास कोई अधिकारिक ज्ञान नहीं है। रामायण मनुष्य की सभी गुणों को असाधारण तरीके से अपने भीतर समाहित किए हुए है। उन्होंने छात्रों को भारत की संस्कृति की ओर मुड़ने को कहा। विद्या मनुष्य को मनुष्य बनाती है।