महाशिवरात्रि के महापर्व पर काशी को सजाया जा रहा है। महाशिवरात्रि पर शिवभक्तों को बाबा विश्वनाथ के झांकी दर्शन ही हो सकेंगे। मंदिर में आने वाली भीड़ को देखते हुए आरती की व्यवस्था भी बदली गयी है। परिसर में भक्तों के प्रवेश और निकलने को लेकर अलग से योजना बनायी गयी है। 24 घंटे पहले ही मंगला आरती के टिकट की बुकिंग भी बंद कर दी जाएगी। ढुंढिराज से आने वाले श्रद्धालु परिसर के पश्चिमी गेट से प्रवेश कर गर्भगृह के पश्चिम द्वार से दर्शन प्राप्त करेंगे। सरस्वती फाटक की ओर से आने वाले भक्त यात्री सुविधा केंद्र से होते हुए परिसर के दक्षिणी गेट से प्रवेश करेंगे। दर्शन कर बगल के मार्ग से वापस बाहर निकल जाएंगे। गंगा या घाटों की ओर से आने वाले श्रद्धालु, ललिता घाट प्रवेश द्वार से अंदर जाएंगे। पूर्वी द्वार से दर्शन कर उसी मार्ग से वापस बाहर आएंगे।
महाशिवरात्रि को देखते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली आरती के समय मे भी बदलाव किया गया है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि सुबह 2:15 पर मंगला आरती शुरू हो जाएगी। भोर में 3:15 तक चलेगी। भोर में ही 3:30 बजे भक्तों के लिए कपाट खुल जाएंगे। मध्यहान् भोग आरती दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे तक होगी। आधे घंटे श्रद्धालुओं का प्रवेश रुका रहेगा। 12:40 से भक्तों के दर्शन का सिलसिला पुनः शुरू हो जाएगा।
वहीं फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी पर 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह के उत्सव का क्रम 16 फरवरी से विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ हो जाएगा। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा के रजत विग्रह के समक्ष हल्दी तेल का लोकाचार पूर्ण किया जाएगा। हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा होगी। एक तरफ मंगल गीतों का गान के बीच बाबा को हल्दी लगाई जाएगी।