महाकुंभ 2025: नागा साधुओं के अद्भुत प्रदर्शन से गूंजा त्रिवेणी संगम, आस्था का उमड़ा जनसैलाब
- - हाथों में गदा-तलवार और त्रिशूल थामे इन संन्यासियों ने अपने पारंपरिक अंदाज से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया
- - शोभायात्रा में नगाड़ों की गूंज, नृत्य और युद्धकला प्रदर्शन ने इस आध्यात्मिक आयोजन को और भी भव्य बना दिया
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के वसंत पंचमी अमृत स्नान के अवसर पर त्रिवेणी संगम आस्था और भक्ति से सराबोर हो उठा। करोड़ों श्रद्धालुओं के बीच नागा साधुओं का जोश और उत्साह देखने लायक था। हाथों में गदा-तलवार और त्रिशूल थामे इन संन्यासियों ने अपने पारंपरिक अंदाज से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। शोभायात्रा में नगाड़ों की गूंज, नृत्य और युद्धकला प्रदर्शन ने इस आध्यात्मिक आयोजन को और भी भव्य बना दिया।
नागा संन्यासियों की अनोखी शोभायात्रा-
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की जीवंत झलक है। अमृत स्नान से पहले निकली अखाड़ों की भव्य शोभायात्रा में नागा संन्यासियों ने अपनी परंपराओं का अद्भुत प्रदर्शन किया। कुछ साधु घोड़ों पर सवार होकर निकले, तो कुछ पैदल चलते हुए अपने अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन करते दिखे। उनकी जटाओं में सजे फूल, माथे पर भस्म और गले में पड़ी रुद्राक्ष मालाएं उनकी साधना और तपस्या का प्रतीक बनीं।
शोभायात्रा में डमरू की थाप और नगाड़ों की गूंज के बीच नागा संन्यासियों ने अपनी युद्ध कलाओं का प्रदर्शन किया। उन्होंने भाले, तलवारें और लाठियों के कौशल से श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा। इनकी वीरता और अनुशासन ने साबित किया कि नागा संन्यासी केवल आध्यात्मिक पथिक ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए सन्नद्ध योद्धा भी हैं।
संगम तट पर नागा साधुओं की मस्ती और स्नान-
त्रिवेणी संगम में नागा संन्यासियों के प्रवेश के साथ ही वातावरण में भक्ति और उत्साह का संचार हो गया। "हर-हर गंगे", "बम बम भोले" और "जय श्री राम" के गगनभेदी जयघोष से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। स्नान के दौरान नागा साधु पूरे जोश के साथ पवित्र जल में क्रीड़ा करते नजर आए। एक-दूसरे पर जल अर्पित करते और स्नान के दौरान भक्ति में लीन होकर झूमते हुए उन्होंने आस्था का अनोखा दृश्य प्रस्तुत किया।
महिला नागा संन्यासिनियों की सहभागिता-
इस महाकुंभ में महिला नागा संन्यासिनियों की बड़ी संख्या भी आकर्षण का केंद्र बनी। पुरुष नागा संन्यासियों की तरह ही इन महिलाओं ने भी सन्यास के कठोर नियमों का पालन कर धर्म रक्षा का संकल्प लिया है। गेरुआ वस्त्र धारण किए ये संन्यासिनियां भी आत्मिक साधना और तपस्या में लीन दिखीं। नागा संन्यासिनी बनने से पहले उन्हें भी अपने परिवार से संबंध त्यागकर, पिंडदान कर संन्यास धारण करना पड़ता है। इस बार महाकुंभ में इनके बारे में जानने के लिए श्रद्धालुओं की विशेष रुचि देखने को मिली।
विदेशी श्रद्धालुओं की सहभागिता-
महाकुंभ 2025 के इस दिव्य आयोजन में केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इटली, क्रोएशिया और ऑस्ट्रिया से आए श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर इस अनुभव को "अद्वितीय और अविस्मरणीय" बताया। उन्होंने कहा कि यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है, जो भारतीय संस्कृति की भव्यता और आध्यात्मिकता को दर्शाता है।
महाकुंभ का डिजिटल स्वरूप और श्रद्धालुओं की भक्ति-
इस बार महाकुंभ का डिजिटल स्वरूप भी आकर्षण का केंद्र बना। श्रद्धालुओं ने नागा साधुओं की शोभायात्रा और स्नान को अपने कैमरों में कैद किया। सोशल मीडिया पर इन भव्य तस्वीरों और वीडियो की धूम रही। संगम तट पर श्रद्धालुओं ने संतों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
नागा साधुओं का संदेश-
नागा साधुओं ने अपने व्यवहार और प्रदर्शन से यह संदेश दिया कि महाकुंभ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक और प्राकृतिक मिलन का उत्सव है। इस पवित्र आयोजन की भव्यता और नागा साधुओं की परंपराएं इसे लंबे समय तक यादगार बनाए रखेंगी।
महाकुंभ 2025 के तीसरे अमृत स्नान पर उमड़ा आस्था का यह सागर भारतीय संस्कृति की जीवंतता और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक बन गया।