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समय का सदुपयोग, समाज सेवा और शिक्षा का संगम : प्रोफेसर ऋषभ सत्संगी की प्रेरणादायक पहल

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आगरा, उत्तर प्रदेश  

जब शिक्षा, सेवा और आत्मनिर्भरता एक ही राह पर चल पड़ें, तब एक नया आदर्श जन्म लेता है। ऐसा ही एक उदाहरण हैं दयालबाग कॉलेज, आगरा के प्रोफेसर ऋषभ सत्संगी। दिन में कॉलेज में इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले ऋषभ, शाम को सड़क किनारे “कूल पॉइंट” नाम से नींबू पानी और सोडा का स्टॉल चलाते हैं। यह स्टॉल केवल एक व्यवसाय नहीं, अपितु समाज सेवा, आत्मनिर्भरता और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन चुका है। ऋषभ सत्संगी कॉलेज में ऑटोमोबाइल सिस्टम विषय पढ़ाते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा मात्र किताबों और कक्षा तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, अपितु व्यवहार, कर्म और नेतृत्व में भी दिखाई देनी चाहिए। दिनभर छात्रों को तकनीकी ज्ञान देने के बाद, वे शाम को अपने ही छात्रों के बीच एक कर्मशील जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। ऋषभ पहले बाहर का खाना खाते थे, लेकिन उन्होंने अपनी आदत बदलने और समय के सदुपयोग के लिए यह स्टॉल शुरू किया। आज यह स्टॉल दो-तीन अन्य युवाओं के लिए आमदनी का माध्यम बन चुका है। इस छोटे से प्रयास के माध्यम से वे स्वावलंबन, श्रम और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का जीवंत संदेश दे रहे हैं।

उनका स्टॉल छात्रों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। कक्षा में जिन छात्रों को वे इंजीनियरिंग सिखाते हैं, वही छात्र उनके स्टॉल पर आकर जीवन प्रबंधन, अनुशासन और मेहनत का सजीव पाठ सीखते हैं। प्रोफेसर होते हुए भी कोई काम छोटा नहीं - यह ऋषभ ने करके दिखाया है। ऋषभ ने यह सोचकर कदम नहीं उठाया कि “लोग क्या कहेंगे?” अपितु उन्होंने यह सोचकर कदम उठाया कि "समय और श्रम का श्रेष्ठ उपयोग कैसे हो?" उन्होंने समाज की पारंपरिक सोच को चुनौती दी और यह साबित किया कि अगर संकल्प नेक हो, तो हर कार्य में गरिमा होती है। प्रोफेसर ऋषभ सत्संगी केवल एक शिक्षक नहीं, अपितु एक विचारधारा हैं-  जो शिक्षा को सेवा से जोड़ती है और जीवन को कर्म से संवारती है। “हर हाथ में हुनर हो, हर मन में सेवा हो और हर युवा में आत्मविश्वास हो — यही है नया भारत।”