तीन तलाक : तुमने कार नहीं दी, तुमने मोटा पैसा नहीं दिया, मैं तुम्हें तलाक देता हूं, तलाक-तलाक-तलाक, यह सुनकर सरधना की युवती नमरा के पैरों तले जमीन खिसक गई. कानों में बार-बार यहीं आवाज गूंज रहीं थी और आंखों से आंसू छलकने लगे.सींसक सींसकर वो कहने लगी मेरे साथ ऐसा मत करों पर वो नहीं माना, आखिरकार तलाक देकर ही रहा. दोनों पक्षाें के बीच हुई कहासुनी हुई तो वहां पुलिस पहुंच गई. बाद में दोनों पक्षों में थाने के बाहर समझौता तलाक के रूप में हो गया और दोनों पक्ष अपने घर लौंट गए. दरअसल गांव रसूलपूर निवासी अखलाक ने अपनी बेटी नमरा का रिश्ता जिला गाजियाबाद के इस्लामनगर निवासी युवक से किया था. लेकिन निकाह में कार न मिलने पर युवक ने नरमा को तलाक दे दिया.
मांग पूरी न हो पाई तो युवक ने दिया तलाक
एक अप्रैल को गाजियाबाद में दोनों की सगाई हुई थी. मंगलवार रात में उनका रोहटा के आरएसएस फर्मा हाउस में निकाह था. देर रात एक बजे निकाह की रस्म पूरी होने के बाद विदाई के समय दूल्हे के भाई और जीजा ने दहेज में कार, सोने की चेन और अंगूठी की मांग कर दी. दुल्हन के पिता के मांग पूरा करने से इंकार किया तो युवक ने दुल्हन को तीन तलाक दे दिया. पीड़ित पिता ने देर रात में रोहटा के थाने में मामले की जानकारी दी. कार्यवाहक थाना प्रभारी वीरपाल सिंह का कहना है मारपीट की बात गलत है. तीन तलाक देने की जानकारी मिली थी. बाद में दोनों पक्षो के बीच सझौता हो गया था.
यहां भी दहेज की मांग पर तीन तलाक
जनपद मुजफ्फरनगर के खतौली निवासी एक युवक ने दहेज में ब्रेजा कार और दस लाख रुपए की मांग पूरी न होने पर युवती को निकाह के दो साल बाद तलाक दिया. पीड़ित युवती ने बगल में फलावदा थाने में पति समेत छह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता का यह कहना है कि आरोपी को निकाह में 50 लाख रुपए का खर्च कम लग रहा था. जिसके चलते उसको पहले दिन से ही परेशान कर रहे थे. इसके साथ ही युवती के दो बेटों में से एक को बेच भी दिया. उसने थाने की रिपोर्ट में बताया उसका निकाह 13 मार्च 2023 को खतौली निवासी अफजल पुत्र इकराम से हुआ था. पिता ने निकाह में कार, स्कूटी, पांच लाख रुपए नकद समेत 50 लाख का दहेज दिया था. इसके बावजूद आरोपित दस लाख रुपए व ब्रेजा कार के लिए उसे प्रताड़ित करते रहते थे. गत साल अप्रैल को पति अफजल, जेठ गुलजार, जेठानी राहिमानी, नन्द रेशमा पत्नी नफीस व रहिमानी उर्फ छोटी ने उससे मारपीट की और पति ने तमंचा तानते हुए गोली मारने की धमकी दी. नफीस व गुलजार ने उसे बेल्ट से मारा, ऐसे में रेशमा व रहिमीन के उकसाने पर पति ने उसे तलाक भी बोल दिया.
12 अप्रैल 2025
लखनऊ के मलिहाबाद में मिर्जागंज निवासी अमानी खान को ससुराल वालों ने प्रताड़ित किया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता का आरोप है पति ने तीन तलाक दे दिया. उसने बताया कि उसका निकाह 2013 में झांसी प्रेमनगर निवासी खालिद हुसैन से हुआ था. अब वो बेटी के जन्म के बाद उनके साथ ज्यादतियां करने लगा. बार-बार बेटी होने के ताने दिए, नकदी व कार की मांग की. न देने पर वह तलाक बोलकर मायके छोड़ गया.
स्याना में एक महिला को उसके पति ने दहेज में कार नहीं मिलने पर तीन तलाक दे दिया। पीड़िता ने पति और ससुरालियों पर दहेज में कार की मांग और मारपीट का आरोप लगाया है। पीड़िता की शादी दिल्ली के सुल्तानपुरी के श्याम कॉलोनी निवासी से साढ़े चार साल पहले हुई थी। पीड़िता गौतमबुद्धनगर के दादरी की रहने वाली है। उसका पति वर्तमान में विकासनगर में रहता है।पीड़िता के अनुसार, शादी के बाद से ही पति और ससुरालम वाले दहेज में कार की मांग करते थे। मांग पूरी न होने पर वे उसके साथ मारपीट करते थे। 2 जून को ससुरालियों ने मिलकर उसकी पिटाई की। पति ने जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद तीन तलाक देकर उसे स्याना में छोड़कर भाग गया।
यह तो तीन तलाक के कुछ ही मामले हैं जो हम आपको बता रहें हैं, न जाने अखबरों में रोज इस तरह की कितनी खबरें आकर आपकी आंखों के सामने से यूं ही निकल जाती होंगी, जिनपर शायद आपका ध्यान नहीं जाता.
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मुस्लिम महिलाओं को जागरूक रहना जरूरी
ऐसे मामलों को देखते हुए लगता है कि सरकार द्वारा भले ही तीन तलाक के मुद्दें पर महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहें हों, पर अभी भी मुस्लिम महिलाओं में तीन तलाक के मुद्दें पर जागरूकता की कमी हैं, जिसको लेकर समाज की मुस्लिम महिलाओं में जागरूकता लानी चाहिए. तीन तलाक पर महिलाओं में जागरूकता की कमी है, जो एक गंभीर समस्या जो एक गंभीर समस्या है। मुस्लिम महिलाओं को अपने अधिकारों, कानूनी प्रावधानों और उपलब्ध विकल्पों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है।
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तीन तलाक के बारे में विस्तार से:
तीन तलाक, जिसे तत्काल तलाक या तलाक-ए-बिद्दत भी कहा जाता है, एक ऐसी प्रथा है जिसमें पति एक साथ तीन बार "तलाक" " शब्द कहकर अपनी पत्नी को तलाक दे देता है। यह प्रथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(1) और अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करती है, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।
जागरूकता की कमी के कारण:
मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा का स्तर कम है, जिससे वे अपने अधिकारों और कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूक नहीं हैं. वहीं कुछ मुस्लिम परिवारों में पारंपरिक सोच और रूढ़िवादी दृष्टिकोण के कारण महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं. महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर होती हैं, जिससे वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने में सक्षम नहीं होती हैं।
जागरूकता कार्यक्रमों की कमी:
महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए पर्याप्त जागरूकता कार्यक्रम और संसाधन नहीं हैं।
जागरूकता बढ़ाने के उपाय:
महिलाओं को शिक्षित करने और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता है।
कानूनी सलाह:
मुस्लिम महिलाओं को कानूनी सलाह प्रदान करने के लिए वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों की सहायता लेनी चाहिए।सामाजिक समर्थन और सहायता प्रदान करने के लिए गैर-सरकारी संगठन और समुदाय आधारित संगठन काम कर सकते हैं।मीडिया का उपयोग करके महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा सकता है।