पौड़ी, उत्तराखण्ड
पौड़ी गढ़वाल की रोशमा देवी आज उस नई सोच की प्रतीक हैं, जो आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण दोनों को साकार करती है। सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने खेती और पशुपालन को ही आधार बनाकर न केवल अपने परिवार को आर्थिक मजबूती दी बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनीं। पहाड़ी अनाज, सब्जी, मशरूम, डेयरी उत्पाद और तिलहन जैसी विविध गतिविधियों से उन्होंने आय के नए स्रोत तैयार किए। रोजाना 30–35 लीटर दूध उत्पादन कर पनीर व घी बेचकर उन्होंने आत्मनिर्भरता की ठोस राह बनाई और साबित किया कि ग्रामीण परिवेश में रहकर भी आत्मनिर्भर बना जा सकता है। रोशमा देवी ने अपने गाँव की महिलाओं को साथ जोड़ा, उन्हें आधुनिक कृषि तकनीक सिखाई और सामुदायिक प्रयासों से 1200 पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण व पलायन रोकने की दिशा में कार्य किया। उन्होंने महिला समूहों को संगठित कर सरकारी योजनाओं से जोड़ा और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने की प्रेरणा दी। उनके इस योगदान और संघर्षपूर्ण सफर को मान्यता देते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग ने उन्हें राज्य स्तरीय तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए चयनित किया है। यह सम्मान केवल एक महिला की मेहनत का परिणाम नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए संदेश है कि आत्मविश्वास और परिश्रम से व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ पूरे समुदाय का भविष्य बदला जा सकता है।