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घर बैठे चांदी काम कर आगरा की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

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आगरा, उत्तर प्रदेश 

भारत में जब भी आत्मनिर्भरता की बात होती है, तो उसमें महिलाओं की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। आगरा के गढ़ी भदौरिया की महिलाएं इसका जीवंत उदाहरण हैं। घर के दायित्वों को निभाने के साथ-साथ वे अब चांदी की पायलें बनाकर अपनी आर्थिक पहचान गढ़ रही हैं। यह मात्र काम नहीं अपितु महिला सशक्तिकरण की नई परिभाषा है। गांव की महिलाएं अब किसी फैक्ट्री या बड़े उद्योग की मोहताज नहीं रहीं। वे घर बैठे ठेकेदार से चांदी का कच्चा माल लेकर उसे खूबसूरत पायल में बदल देती हैं। इस काम से वे प्रतिदिन 500 से 1000 रुपये तक की आय अर्जित कर रही हैं। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा है अपितु वे अपने परिवार की आर्थिक मजबूती में भी बराबरी का योगदान कर रही हैं। गांव से शहर आए संतोष ने इस व्यवसाय को नई दिशा दी। पहले खुद मेहनत से यह कला सीखी और आज सैकड़ों महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। उनके अनुसार, पायल में घुघरू लगाने का बारीक काम महिलाएं बेहद कुशलता से करती हैं। यही कारण है कि आज लगभग हर घर इस हुनर से जुड़ चुका है। इन महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि आत्मनिर्भर बनने के लिए बड़े संसाधनों की जरूरत नहीं होती, बल्कि संकल्प और श्रम ही असली पूंजी है। यह काम उनके लिए केवल रोजगार का साधन नहीं अपितु सम्मान और आत्मविश्वास की चाबी भी बन गया है। गढ़ी भदौरिया की महिलाएं आज आत्मनिर्भर भारत और महिला सशक्तिकरण की जीवंत तस्वीर हैं। उनकी मेहनत और हुनर ने यह संदेश दिया है कि जब नारी शक्ति अपनी क्षमता को पहचान लेती है, तो घर-परिवार ही नहीं, पूरा समाज समृद्धि की राह पर चल पड़ता है।