पंचकोसी वारुणी यात्रा पड़ाव पर स्थित विभिन्न मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सज गए. एक दिवसीय पंचकोसी यात्रा में कई श्रद्धालुओं के उमड़े। यात्रा पड़ावों पर पड़ने वाले गांव में ग्रामीणों एवं मंदिर के पुजारियों ने यात्रा से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी की थीं। पंचकोसी वारुणी यात्रा एक दिन की होती है, जो वरुणा एवं भागीरथी के संगम बड़ेथी से शुरू होती है। यहां से सुबह गंगा स्नान करने के बाद भक्त पद यात्रा के लिए निकल पड़े। लगभग 15 किमी लंबी इस पद यात्रा के पथ पर श्रद्धालु बड़ेथी संगम स्थित वरुणेश्वर, बसूंगा में अखंडेश्वर, साल्ड में जगरनाथ एवं अष्टभुजा दुर्गा, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर एवं व्यास कुंड, वरुणावत शीर्ष पर शिखेरश्वर, विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नरर्वेदश्वर मंदिर के दर्शन के बाद गंगोरी पहुंचे असी गंगा और भागीरथी में स्नान के बाद विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते हैं और जलाभिषेक के साथ यात्रा का समापन हुआ। संग्राली गांव की महिला मंगल दल अध्यक्ष सरवेश्वरी नौटियाल ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए चौलाई के लड्डू का भोग तैयार किया गया था। जिसमें गांव की महिलाओं ने सहयोग किया।
संग्राली गांव निवासी पंडित दिवाकर नैथानी बताते हैं कि अनादि काल से चली आ रही इस धार्मिक यात्रा का उल्लेख पद्म पुराण में मिलता है। वरुणावत पर्वत को भगवान का निवास स्थान माना जाता है। पुराणों में यहां भगवान परशुराम एवं महर्षि वेदव्यास द्वारा तपस्या किए जाने का उल्लेख है. उपवास रखकर नंगे पैर पैदल पंचकोसी वारुणी यात्रा करने से मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही सौ यज्ञों का पुण्य फल प्राप्त होता है।