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संघ गत 100 वर्षों से हिन्‍दू समाज को संगठित एवं जागृत कर रहा है – दत्तात्रेय होसबाले जी

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लखनऊ

- सरकार्यवाह जी ने कहा, पवित्र भगवा ध्‍वज के सम्‍मुख हम सभी यहां एकत्र हुए हैं, यह अपनी कार्य पद्धति का हिस्‍सा है। संघ समय-समय पर अपने कार्यकर्ताओं को गुणवत्‍तापूर्ण बनाने के लिये इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है।

-यह एक संगठनात्‍मक कार्यक्रम है। अपने संगठन को और मजबूत एवं सुसंगठित करने के लिये इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इससे हमारे अंदर का स्‍वयंसेवकत्‍व बेहतर होता रहता है। इसकी तैयारी के लिये सभी ने अपनी-अपनी शाखा में कई दिनों तक मेहनत की है।

लखनऊ, राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ लखनऊ विभाग का ‘शाखा टोली एकत्रीकरण’ आशियाना क्षेत्र स्थित स्‍मृति उपवन में आयोजित किया गया। एकत्रीकरण में मुख्‍य अतिथि के रूप में उपस्थित सरकार्यवाह दत्‍तात्रेय होसबाले जी ने कहा, ‘स्‍वयंसेवक शाखा के माध्‍यम से भारत के परम वैभव के लिये प्रतिदिन साधना कर रहे हैं।’ संघ गत 100 वर्षों से हिन्‍दू समाज को जागृत करता आ रहा है। इसीलिए संघ 100 वर्षों के पश्‍चात भी बढ़ता जा रहा है। हिन्‍दुओं को समरसता की धारा में लाने का कार्य संघ ने किया है।


सरकार्यवाह जी ने कहा, पवित्र भगवा ध्‍वज के सम्‍मुख हम सभी यहां एकत्र हुए हैं, यह अपनी कार्य पद्धति का हिस्‍सा है। संघ समय-समय पर अपने कार्यकर्ताओं को गुणवत्‍तापूर्ण बनाने के लिये इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। यह एक संगठनात्‍मक कार्यक्रम है। अपने संगठन को और मजबूत एवं सुसंगठित करने के लिये इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इससे हमारे अंदर का स्‍वयंसेवकत्‍व बेहतर होता रहता है। इसकी तैयारी के लिये सभी ने अपनी-अपनी शाखा में कई दिनों तक मेहनत की है।

उन्‍होंने कहा कि हम सब संघ के स्‍वयंसेवक हैं। हमने देश के लिये संकल्‍प लिया है। इस राष्‍ट्र को वैभव के शिखर एवं विकास के पथ पर ले जाने के लिये हम सदैव कार्यरत रहेंगे। ऐसा हम इसलिये करते हैं क्‍योंकि हम भारतवर्ष में जन्‍मे हैं। भारतवर्ष में जन्‍म लेने के लिये देवता भी तरसते हैं। इसलिये यहां जन्‍म लेना हमारा सौभाग्‍य है। ऐसे में हमारा कर्तव्‍य भी बनता है कि हम समाज और देश के प्रति अपने संकल्‍पनिष्‍ठ कर्तव्‍यों का निर्वहन करें। भारत के साहित्‍यकारों, वैज्ञानिकों एवं समाजसेवकों आदि ने इसे भारत तो बना दिया है। इस धरती को सँवार भी दिया है, लेकिन इसे निरंतर उच्‍चता की ओर ले जाने के लिये हमें भी अपने कर्तव्‍यों ने का निर्वहन करना होगा।

सरकार्यवाह जी ने कहा, इस देश के लिये जिन महापुरुषों ने बलिदान दिया है, उन सबका हमें नाम तक याद नहीं रहता। ऐसे अनेक वीर हैं, जिन्‍होंने आवश्‍यकता पड़ने पर अपने जीवन को न्‍योछावर करते हुए भारतीयता और धर्म की रक्षा की है। देश के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले ऐसे लोगों की तरह ही हमें भी अपना जीवन निर्वहन करना होगा। ऐसे महापुरुषों का कर्ज हम सब पर है। उन्‍होंने कहा, एक स्‍वयंसेवक का सपना होता है कि ‘देश हमें सब कुछ देता है, हम भी देश को कुछ देना सीखें’।

सामाजिक काम तो पहले भी बहुत से लोगों ने किया है। ऐसे महापुरुषों से हम प्रेरणा लेते हुए उन्‍हें नमन करते हैं। मगर इसमें विचारणीय है कि आरएसएस की भूमिका क्‍या है? इसे स्‍पष्‍ट करते हुए कहा कि संघ का कार्य है कि हर प्रकार का व्‍यक्‍ति अपना कार्य करते हुए देश-समाज के लिये कुछ न कुछ करे, यही राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का कार्य है। संघ की विशेषता है कि एक ही समय में, ए‍क ही पद्धति से, एक ही लक्ष्‍य के साथ स्‍वयंसेवक शाखा का कार्य रहे हैं। आप दक्षिण जाएं या उत्‍तर या पश्चिम या पूरब, सभी जगहों पर संघ की शाखा में जाकर देखने पर आप पाएंगे कि हर मौसम में संघ के स्‍वयंसेवक एक ही पद्धति से शाखा का आयोजन करते हैं। स्‍वयंसेवक शाखा के माध्‍यम से भारत के परम वैभव के लिये प्रतिदिन साधना कर रहे हैं।


उन्‍होंने कहा कि कुम्‍भ भारत की आध्‍यात्‍मिक व सांस्‍कृतिक पहचान है। भारत और हिन्‍दुओं की पहचान है। कोई इसे भारतीयता, कोई हिन्‍दुत्‍व तो कोई संस्‍कृति कहता है। हिन्‍दू समाज के साथ एक समस्‍या है कि इसे कोई महापुरुष आता है, जगाता है। ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ है। हिन्‍दू समाज को बार-बार जागृत करना होता है, मगर वह बार-बार सो जाता है। ऐसा ही कार्य डॉ. हेडगेवार जी ने किया है। संघ ने सदैव हिन्‍दुओं को जगाने का कार्य किया है।

उन्‍होंने कहा कि आने वाले एक वर्ष में शाखा का प्रत्‍येक कार्यकर्ता समाज में परिवर्तन लाने का कार्य करेगा। इसके लिये पंच परिवर्तन के कार्य को हर मंडल, हर शाखा, हर टोली तक पहुंचाना होगा। यह कार्य करने के लिये हम सबको व्‍यापक स्‍तर पर तैयारी करनी होगी। स्‍वयंसेवक होने के नाते हम सबको समय देना होगा, हमें अनुशासन में रहना होगा। संघ का कार्य एक दृष्टि से साधना है। प्रत्‍येक कार्यकर्ता अपना मूल्‍यांकन करता रहे। उन्‍होंने कहा कि संघ के लोग आपदा के समय में प्रथम पंक्ति में खड़े रहते हैं। हमें कार्यकारिणी, अभ्‍यास वर्ग आदि की गुणवत्‍ता बढ़ानी चाहिये। हमारी गुणवत्‍ता की हर दिन परीक्षा होती है। यह आसान काम नहीं है। प्रतिदिन की शाखा देखने में तो आसान होती है, मगर नियमित शाखा चलाना आसान नहीं है। जिंदगी भर संघ का कार्य करते हुये समाज का कार्य करने का हमने संकल्‍प लिया है। पूजा करने के समान ही संघ का कार्य भी पवित्र भाव से किया जाने वाला कार्य है। जब तक हिन्‍दू समाज है, हमें यह कार्य करना है।

उन्‍होंने कहा कि संघ हिन्‍दू राष्‍ट्र नहीं बना रहा है। हिन्‍दू राष्‍ट्र तो पहले से है। संघ हिन्‍दुओं को सेवाभावी हिन्‍दू बनाने एवं शक्तिशाली बनाने का कार्य कर रहा है। जातीय हिन्‍दू को राष्‍ट्रीय हिन्‍दू बनाने का कार्य कर रहा है। भले ही जन्‍म से वह हिन्‍दू है, मगर उसके आचरण, स्‍वभाव और विचार से उसे सम्‍पूर्ण हिन्‍दू बनाने का कार्य संघ कर रहा है। समाज के अंदर परिवर्तन लाने का कार्य हम कर रहे हैं। इसी प्रकार पर्यावरण की रक्षा करना, पौधे लगाना आदि यह सब समाज के गुणात्‍मक परिवर्तन हैं। संघ अपने कार्यों से समृद्धशाली एवं संगठित हिन्‍दू समाज बनाने का कार्य कर रहा है। संघ का हर स्‍वयंसेवक राष्‍ट्र की आराधना के लिये उदाहरण प्रस्‍तुत करे। समाज में बहुत सारे लोग अच्‍छा कार्य करना चाहते हैं। ऐसे लोगों के साथ मिलकर हमें उनका हृदय जीतते हुए कार्य करना चाहिये। ऐसा करने से भारत वैभवशाली होगा। फिर समृद्ध भारत विश्‍व में मंगल लाने का कार्य करेगा। भारत उठ रहा है, भारत उठेगा। भारत किसी को दास बनाने के लिये नहीं उठेगा, वह तो विश्‍व में मंगल लाने के लिये उठेगा।


इससे पूर्व मंच के सामने के वृहद मैदान में ध्‍वजारोहण, प्रार्थना, प्रदक्षिणा, सामूहिक विषय प्रदर्शन, प्रदर्शन घोष, सामूहिक घोष, सामूहिक दंड योग, सामूहिक व्‍यायाम योग, सामूहिक आसन, सामूहिक गणगीत, सुभाषित, मंच परिचय, अमृत वचन एवं एकलगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्‍वांत रंजन जी, इतिहास संकलन योजना के राष्‍ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय जी सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।