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उत्तराखण्ड में जल्द लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड : CM धामी को सौंपी गई रिपोर्ट

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उत्तराखण्ड। 

-उत्तराखण्ड में जल्द लागू होगा यूनिफार्म सिविल कोड : सीएम धामी को रिपोर्ट सौंपी गई

-विवाह, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार के मामलों में आएगी एकरूपता 

-9 नवंबर 2024 से पहले UCC लागू करने की योजना

उत्तराखण्ड सरकार ने प्रदेश में यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य में गठित UCC नियमावली समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है, जिसमें UCC के क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण सुझाव और सिफारिशें दी गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार 9 नवंबर 2024 से पहले UCC लागू करने की योजना बना रही है, जो कि उत्तराखण्ड के स्थापना दिवस के दिन होगा। इस महत्वपूर्ण कदम के साथ, उत्तराखण्ड भारत का पहला राज्य बन जाएगा, जहां यह कोड प्रभावी रूप से लागू होगा। 


UCC का उद्देश्य और महत्व-

यूनिफार्म सिविल कोड का उद्देश्य देश के नागरिकों के लिए व्यक्तिगत कानूनों में एकरूपता लाना है, खासकर विवाह, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार के मामलों में। वर्तमान में, विभिन्न धर्मों और समुदायों के लिए अलग-अलग कानून हैं, जो कई बार न्यायिक और कानूनी विवादों का कारण बनते हैं। UCC का उद्देश्य इन असमानताओं को खत्म कर एक ऐसा ढांचा तैयार करना है, जो सभी नागरिकों के लिए समान हो। 

UCC की पृष्ठभूमि-

उत्तराखण्ड सरकार ने UCC लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता को कई बार दोहराया है। फरवरी 2024 में उत्तराखण्ड विधानसभा में UCC विधेयक पारित किया गया था, जिसके बाद यह कानून बनने की दिशा में बढ़ा। मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इस विधेयक को स्वीकृति मिलने के बाद, UCC को कानूनी रूप से लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके तहत एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया, जिसने विभिन्न विशेषज्ञों और संबंधित पक्षों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार की। 

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें-

UCC रिपोर्ट में राज्य में विवाह, तलाक, संपत्ति के विभाजन और उत्तराधिकार से जुड़े कानूनों को सरल और समान बनाने पर जोर दिया गया है। समिति ने नागरिकों के लिए एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप की भी सिफारिश की है, ताकि लोग बिना सरकारी दफ्तरों में जाए, ऑनलाइन पंजीकरण और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर सकें। 

रिपोर्ट में सभी विभागों से सहयोग और समन्वय की मांग की गई है ताकि UCC को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। इसमें गृह, पुलिस, स्वास्थ्य, अल्पसंख्यक, ऊर्जा, वित्त और अन्य संबंधित विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा, समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि UCC का मसौदा जनता के हित में तैयार किया गया है और इसका उद्देश्य सभी समुदायों के लिए न्यायसंगत और समान कानून सुनिश्चित करना है।

सीएम धामी का दृष्टिकोण-

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि UCC राज्य में कानून और व्यवस्था को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने राज्य में पहले ही कई कानूनों को लागू किया है, जैसे कि एंटी-कॉपिंग कानून, एंटी-रायट कानून और धर्मांतरण विरोधी कानून। UCC को लागू करने की इस योजना के साथ, राज्य में कानून व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। धामी ने कहा है कि यह कोड सामाजिक समरसता और समानता को बढ़ावा देगा, और इससे राज्य में एक स्वस्थ कानूनी ढांचा स्थापित होगा।


 समिति द्वारा किए गए परामर्श और समीक्षा-

UCC नियमावली समिति ने विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा और परामर्श किया। इसमें कानूनी विशेषज्ञों, समाजशास्त्रियों, धार्मिक प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के संगठनों के विचारों को शामिल किया गया। समिति ने सभी पक्षों की राय सुनने के बाद एक समावेशी और न्यायपूर्ण UCC मसौदा तैयार किया। 

सितंबर 2024 में एक समीक्षा बैठक के दौरान, समिति ने रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया और इसमें शामिल सभी नियमों और प्रक्रियाओं की पुष्टि की गई। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विभिन्न विभागों के बीच समन्वय और सहयोग को सुनिश्चित किया गया, ताकि UCC का क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो सके।

आलोचनाएँ और चुनौतियाँ-

जहां UCC को लागू करने के कदम की व्यापक प्रशंसा हो रही है, वहीं इसे लेकर कुछ विवाद और चुनौतियां भी सामने आई हैं। विपक्षी दल और कुछ धार्मिक संगठन इसे लेकर चिंतित हैं कि यह कोड विभिन्न समुदायों की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि UCC सभी के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है और यह किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है।

राष्ट्रीय स्तर पर UCC का प्रभाव-

उत्तराखण्ड में UCC का सफल क्रियान्वयन देश के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है। कई अन्य राज्य और केंद्र सरकार भी UCC को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की दिशा में विचार कर रहे हैं। अगर उत्तराखण्ड में इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह देशभर में समान नागरिक संहिता के लिए एक आदर्श उदाहरण  पेश करेगा।


उत्तराखण्ड में UCC का क्रियान्वयन एक ऐतिहासिक कदम होगा, जो देश में व्यक्तिगत कानूनों की समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार ने इसे प्रदेश की कानून व्यवस्था और सामाजिक समरसता के लिए आवश्यक कदम बताया है। आने वाले समय में UCC का प्रभाव राज्य की न्याय प्रणाली और नागरिक अधिकारों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा, और यह देश के अन्य राज्यों को भी इस दिशा में प्रेरित कर सकता है।