काशी. न्यायालय के आदेश के पश्चात गुरुवार को 31 वर्षों बाद ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में भव्य व दिव्य पूजा प्रारंभ हुई. पूजा के लिए न्यायालय के आदेश के पश्चात ही तैयारी प्रारंभ हो गई थी. सुरक्षा की दृष्टि से काफी संख्या में पुलिस तैनात थी, पुलिस ने 5 प्रमुख लोगों को छोड़ कर बाकी सभी को बैरियर पर ही रोक दिया. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त में विधि विधान से मंगला गौरी की पूजा हुई. ज्ञानवापी में 31 साल बाद विधि विधान से मंगला गौरी की पूजा हुई है. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए ज्ञानवापी के गेट नंबर तीन को बंद कर दिया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ज्ञानवापी में पूजा आचार्य ओमप्रकाश मिश्रा ने संपन्न करवाई. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ सहित पांच अन्य लोग भी उपस्थित रहे. मंदिर में पूजा की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में शिवभक्त ज्ञानवापी पहुंचने लगे थे. क्योंकि अभी पर्याप्त प्रबंध नहीं हैं, इसलिए भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गेट नंबर तीन को बंद कर दिया गया. आवश्यक प्रबंध पूरे करने के बाद अगले कुछ दिनों में सभी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन पूजन के लिए गेट खोले जा सकते हैं.
बुधवार शाम करीब तीन बजे वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी में व्यास जी का तहखाना पूजा पाठ के लिए खोलने के आदेश दिया था. कहा गया था कि सात दिन के अदंर पूजा के प्रबंध पूरे कर लिए जाएं. इसकी जिम्मेदारी काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को दी थी. आदेश के बाद ट्रस्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि पूजा सात दिन के अंदर नहीं, बल्कि 7 घंटे के अंदर ही हो जाएगी. इसके बाद साढ़े पांच बजे डीएम ने अधिकारियों के साथ राइफल क्लब में मीटिंग की और 10:30 बजे डीएम, पुलिस कमिश्नर एवं अन्य अधिकारी मंदिर पहुंचे.
प्रशासन सारी तैयारियां कर रही रहा था कि रात में 11 बजे गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ मंदिर पहुंचे. उनके साथ काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओमप्रकाश मिश्रा भी थे. इसके बाद 11.30 से 12.30 तक प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने बैरिकेटिंग हटाने की योजना की और नंदी महाराज के सामने बैरिकेट तोड़ कर छोटा सा गेट बनाया गया. इसके बाद पांच लोग अंदर पहुंचे और पूजा संपन्न कराई गई. पूजा में मंदिर ट्रस्ट के पदेन अध्यक्ष कमिश्नर कौशल राज शर्मा, सहित अन्य उपस्थित थे.
ज्ञानवापी में पूजा की प्रक्रिया की सूचना पर रात में 12 बजे से ही लोग ज्ञानवापी के बाहर जमा होने लगे थे. पुलिस कमिश्नर वाराणसी ने भीड़ नियंत्रण के लिए रात में ही अतिरिक्त कर्मी तैनात कर दिए. बैरिकेट लगाकर एक सुरक्षा घेरा बना दिया. इसके बाद पूजा करने वाले पांच लोगों को नंदी के सामने छोटे गेट से अंदर जाने दिया गया.
ज्ञानवापी में पूजा के दौरान हिन्दू पक्ष के पैरोकारों को भी प्रवेश नहीं मिला. पैरोकार सोहन लाल आर्य और वादिनी लक्ष्मी देवी ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया. दोनों पैरोकारों ने ज्ञानवापी को आम श्रद्धालुओं के लिए खोलने की मांग की.
मुस्लिम पक्ष आज तड़के ही सर्वोच्च न्यायालय गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका सुनने से इंकार करते हुए उन्हें उच्च न्यायालय में जाने की सलाह दी. उच्च न्यायालय में भी यह मामला मेंशन किया गयास पर वहां भी पूजा पर रोक लगाने की बजाय याचिकाकर्ताओं को रजिस्ट्री में पेटिशन देने के लिए बताया गया.