रायपुर (28 दिसंबर 2024).
राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान पर 24 वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगता का सादगीपूर्ण ढंग से शुभारंभ हुआ. कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों और खिलाड़ियों ने सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी आत्मा की शांति की कामना करते हुए श्रद्धांजलि दी. खेल प्रतियोगिता में वनवासी कल्याण आश्रम के कार्य क्षेत्र अनुसार 33 प्रान्तों के 800 से अधिक जनजातीय बालक बालिकाएं भाग ले रहे है. प्रतियोगिता में अंडमान निकोबार से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों, उड़ीसा, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड उत्तर प्रदेश आदि राज्यों सहित नेपाल देश के भी जनजातीय खिलाड़ी हिस्सा ले रहे है. प्रतियोगिता में फुटबॉल और तीरंदाजी की स्पर्धाएं हो रही है. फुटबॉल के मैच कोटा स्टेडियम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी खेल मैदान पर हो रहे हैं, वहीं तीरंदाजी प्रतियोगिता, राज्य तीरंदाजी एकेडमी मैदान पर हो रही है.
प्रतियोगिता के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वनमंत्री तथा स्वागत समिति के अध्यक्ष केदार कश्यप ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं. डॉ. अनुराग जैन ने दोनों के शुभकामना संदेशों का वाचन किया. शुभारंभ समारोह में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग, राष्ट्रीय महामंत्री योगेश बापट, छत्तीसगढ़ प्रांत के अध्यक्ष उमेश कच्छप और संगठन मंत्री रामनाथ कश्यप भी उपस्थित रहे.
खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि यह खेल आयोजन जनजातीय खिलाड़ियों की प्रतिभा को विश्व स्तर पर स्थापित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. खेल नियमों से खेले जाते हैं और खिलाड़ियों को अनुशासित तथा शिष्टाचारी नागरिक तैयार करने में मदद करते हैं. जिसमें खेल भावना होती है, उसमें जीवन के संघर्षों से लड़ने का साहस स्वतः ही आ जाता है. खेल मानसिक, बौद्धिक और सामाजिक दृष्टि से हमें मजबूत बनाते हैं. खेल के माध्यम से हम देश के आदर्श नागरिक बन कर राष्ट्र विकास में अपना यथोचित योगदान दे सकते है. उन्होंने 24 वीं राष्ट्रीय वनवासी क्रीड़ा स्पर्धा की शुरुआत की घोषणा की.
उन्होंने बताया कि 1952 में वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना के 33 वर्ष बाद पूना में स्व. अशोक साठे के प्रयास से खेल प्रकल्प की शुरुआत हुई थी. मुंबई में 20 नवयुवकों के साथ 7 से 9 अगस्त 1987 में खेल केन्द्र शुरू हुआ और 1991 में मुंबई में ही पहली वनवासी क्रीड़ा प्रतियोगता आयोजित हुई. जिसमें उड़न सिक्ख मिल्खा सिंह भी शामिल हुए थे. पहले आयोजन में 15 राज्यों के 392 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, तब से अब तक 23 राष्ट्रीय वनवासी खेल स्पर्धाएं हो चुकी हैं और इस बार 24वीं प्रतियोगता हो रही है.
खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए ओलंपियन एथलीट कविता राउत ने कहा कि आज हम खेलों को करियर के रूप में चुन सकते हैं. खेल के साथ साथ रोजगार के अवसर भी मिल सकते हैं. खेलों से ही आगे बढ़कर हम अफसर भी बन सकते है. वनवासी कल्याण आश्रम के सक्रिय सहयोग से ही वे खेल की नई ऊंचाइयों तक पहुंची हैं. रांची में वर्ष 2000 में हुए राष्ट्रीय क्रीड़ा महोत्सव में एक धावक खिलाड़ी के रूप में शामिल हुई थीं. कल्याण आश्रम के खेल कूद प्रकल्प से ही उनकी खेल यात्रा शुरू हुई, जिसने उन्हें भारत के लिए खेलने और ओलम्पिक में मेडल जीतने का अवसर दिलाया. कविता राउत ने सभी खिलाड़ी प्रतिभागियों को खेल भावना से खेलने का आग्रह करते हुए शुभकामनाएं दीं