- इसे अलीगढ़ का "वृंदावन" भी कहा जाता है
- कई हिंदू परिवार पहले ही मोहल्ला छोड़कर जा चुके हैं
- इसका आस-पास का माहौल मुस्लिम बाहुल्य है
अलीगढ़। अलीगढ़ के बनियापाड़ा मोहल्ले में 12 मंदिर हैं, जिनमें गोविंद जी, लक्ष्मण जी, बांके बिहारी, सत्यनारायण जी, पथवारी माता, शनिदेव और तीन देवी मंदिर प्रमुख हैं। यहां पांच प्राचीन कुएं भी हैं, जो अब सूख चुके हैं, लेकिन विवाह आदि कार्यों के दौरान पूजा-पाठ का सिलसिला जारी है। इन मंदिरों को लेकर मोहल्ले का धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है, और इसे अलीगढ़ का "वृंदावन" भी कहा जाता है।
लेकिन इस धार्मिक स्थल के आसपास का माहौल अब असुरक्षित होता जा रहा है, जिसके चलते यहां से परिवारों का पलायन जारी है। बनियापाड़ा में करीब ढाई सौ परिवार हैं, जिनमें से कई परिवार पहले ही मोहल्ला छोड़कर जा चुके हैं, और उनके घरों में ताले लटक रहे हैं। इस पलायन की मुख्य वजह यहां का असुरक्षित माहौल और सांप्रदायिक तनाव है। बनियापाड़ा मोहल्ला अलीगढ़ के देहलीगेट थाना क्षेत्र में आता है, और इसका आस-पास का माहौल मुस्लिम बाहुल्य है, जिसमें सांप्रदायिक दंगों के दौरान तनाव इतना बढ़ गया था कि पुलिस को भी खाद्य सामग्री पहुंचानी पड़ती थी।
इतिहास में बनियापाड़ा अक्सर सांप्रदायिक दंगों से प्रभावित हुआ है, और यही कारण है कि कई हिंदू परिवार यहां से पलायन कर चुके हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में यहां मुस्लिम परिवार भी बसने लगे हैं। इस बदलाव के बावजूद, इस मोहल्ले में धार्मिक आस्था और मंदिरों का महत्व बरकरार है। स्थानीय निवासी मोहन लाल बताते हैं कि दूर-दराज से लोग यहां बांके बिहारी के दर्शन करने आते हैं।
बनियापाड़ा के निकट स्थित टनटनपाड़ा मोहल्ले में स्थित प्राचीन शिव मंदिर भी अब वीरान पड़ा हुआ है। पहले यहां वैश्य समाज की घनी आबादी थी, लेकिन अब एक भी हिंदू परिवार नहीं है, जिससे मंदिर की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा। इस मंदिर की चाबी एक हिंदू परिवार के पास रहती है, और वे ही कभी-कभी पूजा करने के लिए जाते हैं।
बनियापाड़ा और टनटनपाड़ा के हालात यह दिखाते हैं कि जहां एक ओर धार्मिक स्थलों का महत्व बरकरार है, वहीं सांप्रदायिक तनाव और असुरक्षित माहौल के कारण यहां से पलायन की स्थिति भी गंभीर है। यह बदलाव समाज में धार्मिक अस्थिरता और सांप्रदायिक विभाजन के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।