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छांगुर का मतान्तरण महाघोटाला

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बलरामपुर, उत्तर प्रदेश

विदेशी 'आका', छांगुर बना 'मोहरा'!

हवेली के पर्दे में चल रहा था मजहबी शिकारी का खेल 

छांगुर का मतान्तरण महाघोटाला

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में स्थित वो तीन मंजिला आलीशान हवेली, जिसमें 70 से अधिक कमरे, AC-फिटेड हॉल, मिनी पॉवर स्टेशन, CCTV नेटवर्क और इम्पोर्टेड टाइल्स से जड़ा किचन था — वो किसी मजहब के ठेकेदार की सेवा-स्थली नहीं थी अपितु एक कट्टर इस्लामिक एजेंडे का जिहादी ठिकाना था, जिसके भीतर हिंदू बेटियों के मतान्तरण की फैक्ट्री चलाई जा रही थी। यह हवेली बाहर से जितना आलीशान दिखती ही अंदर से उतनी ही वहशत की गहराइयों से भरा था। उस मजार के पीछे बैठा था खुद को ‘छांगुर’ कहलाने वाला झूठा पीर जिसका असली नाम जमालुद्दीन है।  जो साइकिल पर अंगूठी और नग बेचने से उठकर करोड़ों की मजहबी हवाला फंडिंग का सौदागर बन चुका था। वह कट्टर जिहादी सोच का रणनीतिकार था, जो अब तक 1500 से अधिक लड़कियों का मतान्तरण कर चुका है — वो भी मानसिक शोषण के जरिए और उसके साथ थी उसकी वही बीवी जो कभी हिन्दू थी और उसका नाम नीतू था जो खुद इसका शिकार थी , जिसका बाद में मतान्तरण करवाकर नसरीन नाम कर दिया और बाद में छांगुर ने उसे अपने धंधे की फ्रंटलाइन महिला एजेंट बना दिया... जिसके माध्यम से दूसरे हिन्दू बच्चियों को शिकार बनाना उसके लिए आसन हो गया था मतान्तरण के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन शाह उर्फ छांगुर की प्रशासन में अच्छी पकड़ थी। इसलिए स्थानीय स्तर पर उसके खिलाफ शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं होती थी। फिर, जब उसका जिगरी दोस्त ठेकेदार वसीउद्दीन खान उर्फ बब्बू चौधरी ही दुश्मन बन गया तो एक-एक कर काले कारनामे उजागर होने लगे। वसीउद्दीन खान उसके अवैध जमीन और मतान्तरण की लिस्ट लेकर PMO तक पहुंच गया। तब अफसर चौंके और फिर ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हुई। छांगुर की हवेली असल में एक जिहादी षड्यंत्र का ‘ऑपरेशन रूम’ था, जहाँ हिंदू लड़कियाँ 'प्रोजेक्ट्स' कहलाती थीं और उनके मतान्तरण की रेट लिस्ट तय थी - ब्राह्मण, क्षत्रिय और सिख लड़कियाँ 15–16 लाख में, ओबीसी की 10–12 लाख में और अन्य वर्ग की 8–10 लाख में "इस्लामिक सिस्टम" में खरीदी जाती थीं, जैसे किसी कट्टर मजहबी मंडी की रेट लिस्ट हो। 


हवेली से ATS को — ‘Shijra-e-Tayyaba’ नाम की एक किताब मिली जो ब्रेनवॉश गाइडबुक थी जिसमें लिखा था कैसे हिन्दू लड़की को उसकी संस्कृति से काटो, कैसे उसकी अस्मिता तोड़ो और कैसे उसे मजहब के हवाले कर दो। इसके साथ मिली डायरी में बाकायदा दर्ज थे नाम, जाति, उम्र और "कीमतें"  जैसे यह कोई मजहबी वेश्यावृत्ति का बाजार हो। जब उनके फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग्स खंगाली गयी तो उनमें कोड वर्ड्स का उपयोग किया गया था जैसे 'मिट्टी पलटना' यानी मतान्तरण, 'काजल' यानी मानसिक उत्पीड़न, 'दर्शन' यानी छांगुर से मिलवाना और 'दीदार' यानी छांगुर से तुरंत मिलवाना।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इस हवेली के पीछे छिपा था एक और काला सच — 106 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग, जो उन कट्टरपंथी इस्लामिक देशों से हवाला के जरिये आई थी जो भारत की संस्कृति को मिटाकर पुनः उसे गुलाम बनाने की मंशा रखते हैं। छांगुर के पास 40 से अधिक बैंक अकाउंट्स, दर्जनों फर्जी दस्तावेज जांच में मिले हैं और जिस जमीन पर हवेली बनायी गयी है वो सरकारी जमीन पर कब्जा करके खड़ी की गई थी जिसमें अवैध रूप से निजी गेटवे बना हुआ था। छांगुर का सारा मैनेजमेंट मोहम्मद अहमद नाम का एक शख्स करता है। मोहम्मद अहमद के खिलाफ भी पुलिस ने वारंट जारी किया है। फिलहाल आरोप है की वह एक नाबालिग हिंदू लड़की को लेकर फरार है। ATS जांच में यह भी पता चला है कि मोहम्मद अहमद आतंकवादी कैंप भी चलाता है। 

5 जुलाई 2025 को ATS ने लखनऊ के एक होटल से छांगुर और नसरीन दोनों को दबोच लिया और फिर शुरू हुआ गद्दारी के महल को मिटाने का ऑपरेशन — 8 जुलाई से जिला प्रशासन और PAC की निगरानी में चला बुलडोजर मिशन, जिसमें छांगुर की हवेली को तीन दिनों में ध्वस्त कर दिया गया। लोहे की दीवारें गिरीं, AC हॉल धराशायी हुए और छांगुर उस समय रो रहा था — वो पछतावे से नहीं, अपनी जिहादी सल्तनत के ढहने पर मातम मना रहा था। स्थानीय लोगों की आंखों के सामने जो मजार कभी ‘दुआ’ का ठिकाना लगता था, वह आज मतान्तरण, हवस और हवाला का नंगा सच बनकर बिखर चुका था।

और अब प्रश्न यह नहीं कि छांगुर गिरफ्तार हो गया तो आगे क्या कारवाई होगी — असली प्रश्न यह है: क्या देश के कोने-कोने में ऐसी और हवेलियाँ नहीं बन चुकीं होंगी ? क्या और नीतू–नसरीनें अब भी हिंदू बहनों को मुस्कान और सना में बदलने को तैयार नहीं बैठीं? ये केस धर्म, अस्तित्व और आत्मा पर हमला है — और इसका जवाब अब केवल कार्रवाई नहीं, जनजागरण और जागृति है।  सवाल ये भी कि छांगुर को विदेश से फंडिंग कौन कर रहा?, छांगुर का विदेशी आका कौन है? क्या विदेशी षड्यंत्र के छांगुर जैसे कितने और मोहरे भारत में जिहादी खेल रच रहे हैं, जो हिन्दू बेटियों को अपने गंदी और विकृत मानसिकता का चंगुल में फंसा रहे हैं। साथ ही सवाल उन पर भी जिनकी छत्रछाया में अब तक छांगुर फलता-फूलता रहा। क्योंकि मेन रोड से 200 मीटर अंदर खेतों के बीच जहां छांगुर ने कोठी बनाई, तो प्रशासन ने वहां तक पक्की आरसीसी की सड़क बना दी।