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पिता बिहार में मौलवी, मेरठ में बेटा बना पुजारी!

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मेरठ, उत्तर प्रदेश 

यह कहानी जितनी सतह पर साधारण लगती है, उतनी ही भीतर से गहरी, चौंकाने वाली और सनातन के विरुद्ध एक और सोच-समझकर रची गई रणनीति की बू देती है। उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक मंदिर में कासिम नाम का युवक पुजारी बनकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते पाया गया। यही नहीं, वह ललाट पर कृष्ण नाम का तिलक लगाए, भगवा वस्त्र पहने, आरती कर रहा था – और जब लोगों को शक हुआ, तो पता चला कि वो बिहार से आया है और उसका असली नाम कासिम है और उसके पिता बिहार में एक मौलवी हैं... अब जरा सोचिए – ये महज एक इत्तेफाक है? या एक बड़ी योजना या षड्यंत्र का हिस्सा? सनातन पर यह कोई पहली चोट नहीं है। पहले मतांतरण, फिर लव जिहाद, फिर हिंदू प्रतीकों की चोरी और अब मंदिरों में भीतर तक घुसपैठ? बड़ा सवाल ये है – क्यों कोई मुस्लिम युवक, जो मौलवी का बेटा है, खुद को 'कृष्ण' बताकर मंदिरों में घुसने की कोशिश करता है?  क्या ये किसी सुधार या आत्मपरिवर्तन की प्रेरणा है, या किसी गहरी नफरत से उपजी साजिश? मेरठ की जनता ने जब उसकी सच्चाई उजागर की, तो मंदिर प्रबंधन भी हैरान रह गया। युवक ने फर्जी पहचान से मंदिर में पुजारी की भूमिका संभाली थी। उसके मोबाइल से मुस्लिम नामों से बातचीत और कुछ संदिग्ध चैट भी बरामद हुए। अब समझिए – सनातन मंदिरों में घुसपैठ कर इन्हें भीतर से कैसे कमजोर किया जाए, इसकी रणनीति कितनी खतरनाक हो चुकी है। जिन लोगों के दिल में सनातन के लिए आदर होता है, वो धर्मगुरु बनने का नाटक नहीं करते। लेकिन जिनके मन में घृणा होती है, वे ही पहचान छिपाकर घुसते हैं। यह सनातन धर्म की सहिष्णुता की परीक्षा नहीं, बल्कि उसकी उदारता का शोषण है। ये अकेला कासिम नहीं है, बल्कि उन असंख्य नामों का प्रतीक है जो धर्म के वस्त्र पहनकर भीतर की जड़ें खोखली करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें अब सावधान रहना होगा – मंदिरों में कौन आ रहा है, क्यों आ रहा है और किस मंशा से आ रहा है – ये जानना उतना ही जरूरी है जितना कि पूजा करना। सनातन धर्म की रक्षा केवल तलवारों से नहीं, चेतना से होगी और ये चेतना तब जागेगी जब हम हर ‘कासिम ’ को समय रहते पहचानेंगे – चाहे वो भगवा में हो या सफेद कुर्ते में।