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महाकुंभ पहुंचा कल्पवासियों का डेरा, रेत पर यज्ञशालाएं बनी शोभा का केंद्र

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- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर 12 वर्ष बाद दुर्लभ संयोग में लग रहे महाकुंभ में अमृतमयी पुण्य की डुबकी के लिए देश भर से साधु- संतों और कल्पवासियों के आने का क्रम शुरू हो गया है। यहां 13 जनवरी यानी पौष पूर्णिमा पर्व से महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी

- बांस, लकड़ी, पुआल के बीच गृहस्थी लादकर बड़ी संख्या में कल्पवासी शिविरों में पहुंच गए। कल्पवासियों का कारवां चलने से पांटून पुलों पर लंबी कतारें लगने  लगी हैं

प्रयागराज। महाकुंभ में दुनियां भर के कल्पवासी पहुंच रहे हैं। सही मायने में महाकुंभ की शोभा साधु संतों के अलावा वहां पहुंचे कल्पवासियों से ही है। एक सप्ताह के बाद पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ मास पर्यंत जप, ध्यान का मेला आरंभ हो जाएगा। इसके लिए देश दुनिया भर से कल्पवासी और नेमी गृहस्थी लेकर आने लगे हैं। 

प्रय़ागराज में संगम तट पर एक विशाल नगरी बसाई गई है। हफ्ते भर बाद पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ मास पर्यंत जप, तप, ध्यान का मेला आरंभ हो जाएगा। इसके लिए देश-दुनिया भर से कल्पवासी और नेमी गृहस्थी लेकर आने लगे हैं। रविवार को बांस, लकड़ी, पुआल के बीच गृहस्थी लादकर बड़ी संख्या में कल्पवासी शिविरों में पहुंच गए। कल्पवासियों का कारवां चलने से पांटून पुलों पर लंबी कतारें लगने  लगी हैं।

गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर 12 वर्ष बाद दुर्लभ संयोग में लग रहे महाकुंभ में अमृतमयी पुण्य की डुबकी के लिए देश भर से साधु- संतों और कल्पवासियों के आने का क्रम शुरू हो गया है। यहां 13 जनवरी यानी पौष पूर्णिमा पर्व से महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी। प्रथम डुबकी के लिए जहां मेला प्रशासन तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है, वहीं कल्पवासी रेती पर अपनी गृहस्थी सजाने के लिए आतुर हैं।

गंगा- यमुना के किनारे के स्नान घाटों से लेकर संगम की सर्कुलेटिंग एरिया में पुआल बिछाने का काम तेज कर दिया गया है ताकि रेत पर कीचड़ न फैलने पाए और स्नानार्थियों को ठंड से बचाया जा सके।

इसी के साथ सभी 25 सेक्टरों में पांटून पुलों के प्रवेश और वापसी मार्गों के अलावा तिराहों, चौराहों पर पुलिस व पैरामिलिट्री के जवानों को तैनात कर दिया गया है। इस ठंड में श्रद्धालुओं की सेहत का ख्याल रखने के लिए बड़ी संख्या में चिकित्सक और पैरा-मेडिकल स्टाफ की भी तैनाती कर दी गई है।

मेला प्रशासन की ओर से इस बार पौष पूर्णिमा पर करीब तीन करोड़ से अधिक संतों, भक्तों, कल्पवासियों और अतिथियों का रेला उमड़ने का अनुमान है। सेंट्रल अस्पताल के अलावा हर सेक्टर में 20-20 बेड के अस्पताल बनाए गए हैं। महाकुंभ में आने वाले कल्पवासियों, श्रद्धालुओं के अलावा बसावट के काम में लगे मजदूरों और उनके परिवारीजनों का इलाज भी शुरू हो गया है।

प्रमुख स्नान पर्व -

13 जनवरी पौष पूर्णिमा

14 जनवरी मकर संक्रांति शाही स्नान

29 जनवरी मौनी अमावस्या- शाही स्नान

02 फरवरी वसंत पंचमी - शाही स्नान

12 फरवरी माघी पूर्णिमा

26 फरवरी महाशिवरात्रि