• अनुवाद करें: |
मुख्य समाचार

14 जनवरी को मनाई जाएगी मकर संक्रांति, पूरे दिन दान और स्नान का मिलेगा फल

  • Share:

  • facebook
  • twitter
  • whatsapp

- 14 तारीख को ही सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही आठ से 16 घंटे का पुण्यकाल रहेगा इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं है। इस मौके पर लोग भगवान भास्कर की आराधना के साथ गंगा स्नान के फलस्वरूप दान दक्षिणा करते हैं

- इस बार ग्रहराज सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को दिन में 3:27 बजे होगा। सूर्य के प्रवेश करने के बाद आठ से 16 घंटा पुण्य काल। इसलिए 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी

वाराणसी। महाकुंभ का शुभारंभ इस वर्ष मकर संक्रांति से हो रहा है। इस बार मकर संक्रांति को काशी के ब्राह्मणों ने स्पष्ट कर दिया है। 14 तारीख को ही सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही आठ से 16 घंटे का पुण्यकाल रहेगा इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं है। इस मौके पर लोग भगवान भास्कर की आराधना के साथ गंगा स्नान के फलस्वरूप दान दक्षिणा करते हैं। 

ऐसी मान्यता है सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करेंगे। धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि इसको लेकर भी कई पंचागों में अलग अलग कारणों का उल्लेख है कहीं सुबह तो कही दोपहर के बाद सूर्य के राशि में परिवर्तन की बात आ रही है। सभी विद्वानों का एक बात पर मत स्पष्ट है कि पूरे दिन पुण्यकाल रहेगा । सुबह से ही दान और स्नान करने से पुण्य मिलेगा। 

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. अमित कुमार शुक्ल ने बताया कि विश्वविद्यालय के पंचांग के अनुसार सूर्य का धनु राशि से मकर में गोचर दिन में 8:20 बजे से होगा। इसलिए सूर्योदय से सूर्यास्त तक पुण्यकाल मिलेगा। 

ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी ने बताया कि ऋषि पंचांग के अनुसार इस बार ग्रहराज सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को दिन में 3:27 बजे होगा। सूर्य के प्रवेश करने के बाद आठ से 16 घंटा पुण्य काल। इसलिए 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।

स्नान और दान का मुहूर्त -

स्नान और दान का सर्वोत्तम मुहूर्त 3:27 बजे के बाद ही रहेगा। हालांकि सुबह से स्नान और दान कर सकते हैं। मकर संक्रांति भगवान भास्कर के दक्षिणायन से उतरायण होने का काल है। दक्षिणायन में चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है। उत्तरायण में ग्रहराज भगवान सूर्य का प्रभाव होता है। जीव की उत्पत्ति और जीवन को साकार करने वाले ग्रहराज सूर्य हैं। बिना इनके जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।

पुराणों में भगवान सूर्य को आरोग्यता ऐश्वर्य, धन, पुत्र, सुख, शिक्षा, परिवार, विकास और मोक्ष तक की प्राप्ति का कारक माना गया है। सूर्य देव का उत्तरायण काल मकर राशि से मिथुन राशि तक माना जाता है। दक्षिणायन काल कर्क राशि से धनु राशि तक होता है। अर्थात भगवान सूर्य छह माह उत्तरायण और छह माह दक्षिणायन रहते हैं।