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इतिहास

राष्ट्रीय एकता दिवस

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राष्ट्रीय एकता दिवस 

आज राष्ट्रीय एकता दिवस है। आप सब सोचते होंगे कि आखिर ऐसी क्या विशेष बात है जो हम आज के दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं, तो बात ऐसी है कि आज के दिन हमारे देश में एक ऐसे महापुरुष जन्में थे। जिन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह महान महापुरुष हैं, सरदार वल्लभ भाई पटेल जिनकी दृढ इच्छा शक्ति और साहसी व्यक्तित्व के कारण उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। उन्होंने देश के स्वाधीनता संग्राम में तो भाग लिया ही, एक वकील के रूप में अनेक क्रांतिकारियों के केस भी लड़े। उन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है देश की 500 से अधिक रियासतों को भारत में विलय कराने में उनकी भूमिका को लेकर। 1947 में देश स्वाधीन तो हुआ किन्तु अंग्रेजों ने भारतीय रियासतों को भारत में विलय या स्वतंत्र रियासत बने रहने को लेकर निर्णय लेने का अधिकार देशी रियासतों को ही दे दिया, इन रियासतों ने भारतवर्ष को एक राष्ट्र स्वीकार करते हुए सहर्ष अपना विलय स्वाधीन भारत में कर दिया किन्तु भोपाल, जूनागढ़, त्रावणकोर, जम्मू और कश्मीर तथा हैदराबाद जैसी रियासतों ने भारत में विलय की स्वीकृति नहीं दी। यह भारत की अखण्डता और एकता को लेकर एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे समय में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी सूझ-बूझ और दृढ संकल्प शक्ति से ऐसी रियासतों को भारत में विलय कराने में महत्पूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। 2014 में भारत सरकार ने उन्हें सम्मान देने हेतु उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। 2018 में उनकी लौह प्रतिमा ‘ स्टेचू ऑफ यूनिटी’ जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है राष्ट्र को समर्पित की गयी। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के साधक सरदार वल्लभ भाई पटेल को कोटि-कोटि नमन है।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी - विकिपीडिया