ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश
एक मजदूर सुबह घर से निकलता है और अपने परिवार से कहता है 'शाम को लौटूंगा।' लेकिन मजदूरी करने के दौरान सीवर की जहरीली गैस में उसकी सांस हमेशा के लिए थम जाती है। यह कहानी अनगिनत घरों की हकीकत रही है। लेकिन अब सीवर में दम घुटने से मौत का ये डर हमेशा के लिए खत्म होने वाला है, क्योंकि नोएडा की बेटी मोनिका जायसवाल ने मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए ऐसा स्वदेशी नैनोविस्तार गैस सेंसर बैंड बनाया है, जो खतरे को पहले ही भांप लेगा और तुरंत अलर्ट कर देगा। यह कोई विदेशी मशीन नहीं अपितु पूरी तरह मेक इन इंडिया पर आधारित तकनीक है। अब मजदूर जब कलाई पर यह बैंड पहनकर सीवर में उतरेगा, तो जहरीली गैस पास आते ही सेंसर कंपन करेगा, लाल लाइट जलेगी और साथ ही ठेकेदार तक सूचना पहुँच जाएगी। यानी मजदूर सीवर में अकेला नहीं होगा उसका साथी बनेगा ये सेंसर बैंड। आज तक भारत 95 % सेंसर चीन, जापान और अमेरिका से खरीदता आया है जो महंगे भी है और मजदूरों की जरूरतों से परे भी। मोनिका का यह उपकरण न केवल 60% सस्ता है अपितु भारतीय कामगारों की असली परिस्थिति को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यही है आत्मनिर्भर भारत की असली तस्वीर जहाँ वैज्ञानिक और उद्यमी मिलकर सस्ते और स्वदेशी तकनीक के प्रयोग से लोगों की जान बचाने वाले समाधान लेकर आ रहे हैं। नवंबर से जब यह सेंसर बाजार में आएगा, तब हर मजदूर जो सीवर में उतरेगा उसके दिल में यह भरोसा होगा कि 'अब मेरी सांसें सुरक्षित हैं, शाम को मैं अपने परिवार के पास जरूर लौटूंगा।'