देहरादून, उत्तराखण्ड
उत्तराखंड की वादियों की ठंडी हवाओं और हिमालयी मिट्टी की खुशबू से पले-बढ़े गढ़वाली सेब ने अब अंतरराष्ट्रीय उड़ान भर ली है। देहरादून से दुबई के लिए 1.2 मीट्रिक टन गढ़वाली सेब की पहली खेप रवाना हुई है। यह केवल एक निर्यात नहीं अपितु आत्मनिर्भर भारत की राह में दर्ज हुआ स्वर्णिम अध्याय है। गढ़वाली सेब का कुरकुरापन और प्राकृतिक मिठास अब दुबई की थालियों और फ्रूट सलाद तक पहुंचेगा। पौड़ी की पहाड़ियों में उगा यह अनमोल स्वाद दुनिया को यह सिखा रहा है कि भारत की धरती पर उपजा हर फल मेहनत, गुणवत्ता और परंपरा का जीता-जागता प्रतीक है। आज सेब की खेप रवाना हुई है, कल शहद, कीवी, लीची, राजमा, मसाले और जैविक फसलें भी एशिया से लेकर यूरोप तक भारत की शान को बढ़ाएंगी। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी अपितु गाँव-गाँव में रौनक लौटेगी और भारत के ग्रामीण अंचल आत्मनिर्भरता के सशक्त स्तंभ बनकर उभरेंगे। यह उपलब्धि साबित करती है कि हिमालय की मिट्टी में जन्मा हर पौधा स्वाद और गुणवत्ता की ऐसी पहचान रखता है, जो पूरी दुनिया के बाजारों में अपना स्थान बनाने की क्षमता रखता है। गढ़वाल के बागानों से निकला यह सेब अब केवल फल नहीं अपितु भारत की गरिमा, परंपरा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।