अमरावती, 22 दिसंबर 2024 - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि धर्म का आचरण करने से ही धर्म की रक्षा होगी. क्योंकि धर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है. धर्म को समझना पड़ता है. धर्म को समझना ही कठिन है क्योंकि आजकल के लोगों में अहंकार बहुत है और थोड़े से ज्ञान पर ही घमंड करने वाले को ब्रह्मा भी नहीं समझा सकते.
सरसंघचालक जी अमरावती स्थित महानुभाव आश्रम के शतकपूर्ति महोत्सव के दौरान संबोधित कर रहे थे. कंवर नगर स्थित महानुभाव आश्रम के शतकपूर्ति महोत्सव का 22 दिसंबर को समापन दिवस था. इस दौरान भानखेड़ा स्थित आश्रम में समापन कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे थे.
सरसंघचालक जी ने कहा कि धर्म के आचरण को समझना होगा और एक बार समझ लेने के बाद उसे मन में नहीं रखना होगा, बल्कि बुद्धि में लाना होगा और धर्म का वांछित कार्य करना होगा. यद्यपि धर्म को समझना कठिन है, लेकिन अड़ गए तो इसे आसानी से समझा जा सकता है. लेकिन, जो अल्प ज्ञान से अहंकारवश फूला हुआ है, उसे तो ब्रह्मा भी नहीं समझ सकते. अतीत में धर्म के नाम पर जो अत्याचार हुए, वे गलत धारणाओं के कारण हुए. ज्ञानवर्धक पंथ और संप्रदाय हमारे देश की शान हैं. विपरीत परिस्थितियों में भी महानुभाव संप्रदाय का कार्य अनवरत जारी रहता है और उसका सम्मान किया जाता है. चाहे कोई भी संप्रदाय हो, यह हमें एक-दूसरे से जुड़ना सिखाता है. एकता शाश्वत है. सारा विश्व एक है. अहिंसा से कार्य करना ही धर्म की रक्षा है.
महानुभाव संप्रदाय को संबोधित करते हुए कहा कि 1000 वर्ष के पारतंत्र्य के समय हिन्दू धर्म और संस्कृति के संरक्षण का महत्त्वपूर्ण कार्य भी महानुभाव संप्रदाय द्वारा संपूर्ण भारत में किया गया और आज तक अविरत चल रहा है, यह उल्लेखनीय है. संघ धर्म की रक्षा के लिए काम कर रहा है. जब सच्चे संकल्प के साथ काम किया जाता है तो वह अवश्य पूरा होता है.
डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि धर्म को सही ढंग से समझने से समाज में शांति, सद्भाव और समृद्धि आ सकती है. धर्म का सच्चा उद्देश्य मानवता की सेवा और मार्गदर्शन करना है, न कि किसी भी प्रकार की हिंसा या अत्याचार को बढ़ावा देना. धर्म के मूल सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि धर्म का सटीक ज्ञान और पालन समाज के उत्थान और सभी की भलाई की ओर ले जाता है.
उन्होंने कहा कि धर्म का अधूरा ज्ञान अधर्म की ओर ले जाता है. धर्म के नाम पर दुनिया भर में जितने भी अत्याचार हुए हैं, वे वास्तव में धर्म के बारे में गलतफहमी और अज्ञानता के कारण हुए हैं. धर्म हमेशा से अस्तित्व में रहा है और दुनिया में सब कुछ उसी के अनुसार चलता है. इसलिए इसे सनातन कहा गया है. धर्म का पालन करना ही धर्म की रक्षा है.
कार्यक्रम में संपूर्ण देश से आए संत-महंत के साथ -साथ राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, पूर्व सांसद नवनीत राणा, पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटिल, यूपी के मंत्री आदि भी मौजूद थे. कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख ने सप्तग्रंथराज, दिनदर्शिका, लीलाचरित्र का विमोचन किया.