मेरठ, उत्तर प्रदेश
मेरठ के रजपुरा ब्लॉक की सलोनी उन महिलाओं में से एक हैं जो हालात से हार मानने के बजाय अपनी मंजिल खुद गढ़ती हैं। सलोनी ने सरकारी नौकरी पाने की चाह में कई परीक्षाएं दीं पर जब सफलता नहीं मिली तो उन्होंने अपने सपनों की दिशा मोड़ दी और बन गईं एक सशक्त बिजनेस वूमन। सलोनी ने पहले नाबार्ड से मिट्टी की मूर्तियां बनाने की ट्रेनिंग ली, शुरुआत में मुश्किलें तो आईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। डेढ़ लाख रुपये का बैंक लोन लेकर छोटे स्तर पर कारोबार शुरू किया और आज उनके हाथों की बनी मूर्तियों की डिमांड देशभर में है। जन्माष्टमी जैसे पर्वों पर तो गाय और श्रीकृष्ण की मूर्तियों के विशेष ऑर्डर आते हैं। सलोनी न सिर्फ खुद कमा रही हैं अपितु आठ महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं, जिन्हें 8 से 10 हजार रुपये तक का मासिक वेतन देती हैं। सलोनी अब तक ढाई लाख रुपये से अधिक का सालाना कारोबार कर चुकी हैं और यह साबित कर दिया है कि महिलाएं अगर ठान लें, तो मिट्टी भी सोना बन सकती है। सरकारी नौकरी भले न मिली हो, लेकिन आत्मनिर्भरता ने उन्हें एक नई पहचान और सम्मान जरूर दिला दिया है। नाबार्ड - राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक एक विकास बैंक है जो किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम करता है।