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यूपी के बागपत में बना देश का पहला प्रदूषण रहित ईंट भट्ठा

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बागपत, उत्तर प्रदेश 

आज जब बड़ी-बड़ी और गगनचुंभी इमारतों का तेजी से निर्माण हो रहा है। ऐसे में ईंटों का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। जिससे ईंटभट्टों पर लोड भी बढ़ गया है। ईंटभट्टों से निकलने वाला काला धुआं वातावरण के लिए काफी नुकसानदायक है। ऐसे में जब देशभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ईको टूरिज्म, नो प्लास्टिक जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं। तरहतरह के वन डेवलप किए जा रहे हैं। पौधारोपण की मुहिम चलाईं जा रही हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के शवगा गांव, जो बागपत के बड़ौत में है, में एक क्रांन्तिकारी कदम उठाया गया है। यहाँ जर्मन तकनीक से बना ऐसा ईंट भट्ठा शुरू हुआ है, जिसमें कोयला या लकड़ी नहीं अपितु बायोफ्यूल यानी  चावल की भूसी, गन्ने की खोई और लकड़ी के बुरादा का प्रयोग होता है। इससे ईंटें न सिर्फ पर्यावरण के लिए सुरक्षित बनती हैं अपितु मजदूरों का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। इस इंटरनल फ्यूल टेक्नोलॉजी से तैयार ईंटें 200 वर्षों तक टिकती हैं, सामान्य ईंटों से 2-3 गुना मजबूत होती हैं और उनके एक जैसे आकार के कारण प्लास्टर में 40% तक सीमेंट और रेत की बचत होती है। शवगा गांव के नितिक आर्य के इस प्रयास ने यह साबित कर दिया कि पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाकर भी विकास संभव है, और वह भी दमघोंटू धुएं के बिना!