मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश
ये वही नारियल हैं। जो अक्सर नदियों में फेंक दिए जाते हैं। या कूड़े में सड़ते मिलते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं। इन्हीं खराब नारियलों ने बदल दी एक बच्ची की सोच और उसकी जिंदगी। मुरादाबाद की कक्षा 8 की छात्रा संध्या। जिसने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसे देखकर बड़े-बड़े वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् भी गर्व करे। संध्या ने नदी किनारे पड़े खराब नारियलों को देखा, तो सोचा ‘इन्हें फेंका क्यों जाता है? क्या इनका कोई उपयोग नहीं?’ और फिर शुरू हुआ एक अनोखा प्रयोग। सिर्फ सूखे और गीले नारियल के कचरे से छात्रा संध्या ने की उत्पाद बना दिए। जैसे-
-केमिकल-फ्री हेयर डाई
-प्राकृतिक धूपबत्ती
-नारियल बेस्ड गैस बर्नर
-और कई उपयोगी घरेलू सामान!”
संध्या का दावा है कि उनकी बनाई डाई मार्केट की केमिकल डाई से कई गुना बेहतर है ये कोई साइड इफेक्ट नहीं पहुंचाती और बाल गिरने से भी रोकती है खराब नारियल से बनी धूपबत्ती भी पूरी तरह प्राकृतिक है। बिना किसी हानिकारक रसायन के इसे तैयार किया गया है।एक बच्ची की जिज्ञासा और नवीन सोच ने साबित कर दिया कि कचरा भी खजाना बन सकता है। 8वीं कक्षा की संध्या ने न केवल विज्ञानी सोच की प्रबल प्रदर्शन किया। बल्कि नन्हीं उद्योगपति भी बन गई है। वहीं उनके नवाचार की वजह से नदी में बहने वाला नारियल अब भविष्य में नई खोज का आधार बन सकता है। संध्या जैसी नई पीढ़ी के कमाल के कारनामे ही आत्मनिर्भरत भारत की ओर बढ़ते नन्हें लेकिन मजबूत कदम हैं।



