संघ संस्मरण
देश के बंटवारे पर श्री
गुरुजी का दर्द
दिनांक 16-12-1971 को श्री गुरुजी से अनौपचारिक चर्चा के लिए
पत्रकार बंगलौर में डॉ. नरसिंहाचार के निवास स्थान पर आ रहे थे। इसी बीच आकाशवाणी
से घोषणा हुई कि बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया है। चर्चा
का प्रारम्भ करते हुए एक पत्रकार ने टिप्पणी की, कि श्री गुरुजी से मिलने के लिए उनके आगमन का आनन्ददायक
संयोग, इस ऐतिहासिक घटना के साथ
हुआ है। पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए श्री गुरुजी ने कहा,
"देश का दो हिस्सों में
विभाजित होना भी अनैसर्गिक ही था। हमें वह नहीं होने देना चाहिए था, परन्तु वह हुआ। अब उसका तीन हिस्सों में बंटना
अवश्यम्भावी था। पाकिस्तान के ये दो हिस्से दीर्घकाल तक एक साथ नहीं रह सकते थे।
विशेषतः गत दस-बारह वर्षों में, इन हिस्सों में गहरी
कटुता निर्माण हो गई थी। सच तो यह है कि 24 वर्षों की दीर्घ अवधि तक वे जैसे-तैसे एक साथ रह सके, यह अपने आप में आश्चर्य है।
।। श्री गुरूजी
व्यक्तित्व एवं कृतित्व, डॉ. कृष्ण कुमार बवेजा,
पृष्ठ – 99 ।।




