बाराबंकी, उत्तर प्रदेश
आज कल खेती कौन करना चाहता है। कड़ाके की मेहनत, ज्यादा लागत, लंबा इंतजार और मुनाफा सीमित? यही वजह है कि पारंपरिक खेती से हटकर आज किसान स्मार्ट फार्मिंग की ओर बढ़ रहे हैं। लागत कम, फसल जल्दी तैयार बाजार में आमदनी अच्छी, ऐसी खेती भला कौन नहीं करना चाहता। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में किसान कुलदीप यादव ने भी अपने नवाचार से ऐसा ही तरीका खोज निकाला। उन्होंने पारंपरिक धान और गेहूं की खेती को छोड़कर स्मार्ट फार्मिंग को अपना लिया है। अब वे खेतों में गेहूं-धान की बजाय मूली उगा रहे हैं, और प्रत्येक फसल से लगभग 50 हजार रुपये तक का अच्छा मुनाफा भी कमा रह हैं। मूली की खेती का सबसे बड़ा फायदा है कि यह बहुत कम समय, यानी लगभग 40 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। यानी किसान साल में इसकी कई फसलें ले सकते हैं। कम समय में तैयार होने के कारण लागत भी कम आती है और बाजार में मांग भी बनी रहती है। कुलदीप यादव की यह कहानी दिखाती है कि अगर कौशल और नवाचार मिल जाए। तो खेती केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक स्मार्ट बिजनेस बन जाती है। सही समय पर, सही फसल चुनकर किसान कम लागत में भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और खेती के प्रति युवाओं का नजरिया बदल सकते हैं।
                                
                                
                                
                            
                            
                            
                            


