हरिद्वार
सनातन धर्म की सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि इसकी परंपराएँ, सीखें और आध्यात्मिक मार्ग केवल भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दुनिया के हर कोने में लोगों के दिलों को छू रही हैं। इसका उदाहरण हाल ही में हरिद्वार में देखने को मिला। जहां जापान से आए संत बाला कुंभ मुनि (ताकायुकी होशी) को निरंजनी अखाड़े में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। बता दें हरिद्वार में निरंजनी अखाड़े ने जापान के संत बाला कुंभ मुनि (ताकायुकी) को महामंडलेश्वर की उपाधि देकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया। विशेष पट्टाभिषेक समारोह में बड़ी संख्या में साधु-संत उपस्थित रहे।14 नवंबर को हुए इस कार्यक्रम में 41 वर्ष के ताकायुकी होशी, जो टोक्यो में आध्यात्मिक संत हैं, आधिकारिक रूप से स्वामी बाला कुंभ पुरी महाराज बन गए।
इस अवसर पर जापान से उनके कई शिष्य भी पहुंचे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि बाला कुंभ मुनि विद्वान और समर्पित संत हैं, जो जापान में मंदिरों और आश्रमों के माध्यम से लोगों को धर्म और आध्यात्म की शिक्षा देते हैं। उन्होंने बौद्ध धर्म छोड़कर पूर्ण श्रद्धा से सनातन धर्म अपनाया है। उनके लगभग ढाई हजार शिष्य हैं, जिनमें से अस्सी शिष्य इस कार्यक्रम में शामिल होकर सनातन धर्म में दीक्षित हुए। साथ ही साथ महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारतीय संस्कृति आज दुनिया भर में फैल रही है। स्वामी बाला कुंभ पुरी महाराज अब देश-विदेश में जाकर सनातन परंपराओं का संदेश और अधिक लोगों तक पहुँचाएँगे। उन्होंने उनसे अनुरोध किया कि वे अपने शिष्यों को सनातन संस्कृति, सभ्यता और आध्यात्मिक जीवन के मूल तत्व सिखाएँ, ताकि वे भी विश्वभर में धर्म का प्रकाश फैलाएं।



