वाराणसी
काशी से सावन महीने में एक ऐतिहासिक और सुखदाई खबर सामने आई है। जी हां 42 वर्षों से बंद पड़े सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के कपाट अब श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। सावन के पवित्र माह में जब शिवभक्ति अपनी चरम पर होती है, ऐसे समय में मंदिर का दोबारा खुलना भक्तों के लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं माना जा रहा हिंदू संगठनों की निरंतर पहल और प्रशासनिक सहयोग के बाद यह मंदिर आज दोबारा खोल दिया गया है। बता दें पिछले वर्ष दिसंबर में संभल मस्जिद विवाद के दौरान इस मंदिर की दुर्दशा का मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद 8 जनवरी को तत्कालीन डीएम और वर्तमान जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की पहल पर प्रशासन ने आसपास के मुस्लिम परिवारों से आपसी संवाद कर मंदिर का दरवाजा सुरक्षा व्यवस्था के बीच खुलवाया और मंदिर की सफाई कर हिंदू संगठनों को चाभी सौंप दी। उस समय मंदिर में जलाभिषेक और पूजन-अर्चन हुआ था, लेकिन पुजारी की उपलब्धता और खरमास के कारण मंदिर फिर से बंद रहा। पिछले कुछ दिनों से बनारस के विभिन्न हिंदू संगठन सावन में विधिवत पूजन की मांग कर रहे थे। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से संपर्क कर इस मुद्दे को आगे बढ़ाया, जिसके बाद आज मंदिर के कपाट आधिकारिक रूप से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के प्रोफेसर के अनुसार, स्कंद पुराण के काशी खंड में सिद्धेश्वर महादेव मंदिर का उल्लेख है। काशी खंड के अनुसार, पुष्प दंतेश्वर के दक्षिण में स्थित यह वही मंदिर है, जहां कभी पूजा-पाठ नियमित रूप से होता था, लेकिन मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद 42 साल पहले पूजा बंद हो गई थी। आज सावन के पावन माह में मंदिर का खुलना न केवल आस्था का पुनर्जागरण है, बल्कि सनातन संस्कृति की शक्ति का भी उदाहरण है।