रामपुर, उत्तर प्रदेश
रामपुर के अनबा गांव से निकले जयकिशन मौर्य कभी एक सामान्य मैकेनिक थे, लेकिन आज मधुमक्खियों से दोस्ती कर 3 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर तक पहुंच चुके हैं। महज दो बक्सों से शुरू हुआ यह सफर पहले तो गांववालों की हँसी बना, लेकिन जल्द ही पूरे प्रदेश में मिसाल बन गया। जयकिशन ने मुरादाबाद से ट्रेनिंग ली, बैंक से 70 हजार का लोन लिया और देखते ही देखते 2000 से ज्यादा बक्सों के साथ उन्होंने आत्मनिर्भरता का ऐसा जाल बुना, जिसमें केवल मेहनत और आत्मविश्वास की मधुर गूंज थी। जयकिशन ने न केवल खुद को खड़ा किया, बल्कि 400 से ज्यादा युवाओं को भी मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाया। वह अब सरकारी प्रदर्शनी में भाग लेते हैं, शहद की सप्लाई करते हैं, दवाइयों से लेकर उपकरण तक मुहैया कराते हैं। उनके शहद में सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि गांव की खुशबू, संघर्ष की महक और नए भारत का आत्मबल झलकता है। यह कहानी उस भारत की है, जो गांव से निकलकर दुनिया को मधुरता सिखा रहा है।
